देशीशब्दकोश /119
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उग्घट्टि -- अवतंस, शिरोभूषण ( दे १।९० ) ।
उग्घाडपोरिसि -- प्रहर का तीन चौथाई भाग-'उद्घाटपौरुण्ष्यां समयभाषया पादोनप्रहरे' ( प्रसा ५९० टी प १६६ ) ।
उग्घाय -- १ संघात । २ विषमोन्नत प्रदेश ( दे १।१२६ ) ।
उग्घुट्ट -- १ पौरुष, शूरता ( दे १।९९ ) । २ लुप्त, विनष्ट ।
उचूलयालग -- नीचा सिर और ऊपर पांव कर पानी में डुबोना ( विपाटी प ७२ ) ।
उच्च -- नाभितल ( दे १।८६ ) ।
उच्चंतग -- दंतराग, दांतों को रंगने की मसी-'उच्चचंतगो दंतरागो भन्नइ ' ( प्रज्ञाटीप ३६२ ) ।
उच्चचंपिअ -- १ दबाया हुआ, रौंदा हुआ - 'सीसं उच्चचंपिअं कबंधम्मि' ( तंदु १४९ ) । २ दीर्घ ( दे १।११६ ) ।
उच्चड्डिय -- उत्क्षिप्त, ऊपर उछाला हुआ ( दे १।१०६ ) ।
उच्चत्त -- निश्चित अवधि तक स्वामी के कथनानुसार कार्य करने वाला ( भृतक ) -'एच्चिरकालोच्चत्ते, कायव्वं कम्म जं बेंति' ( निभा ३७२० ) ।
उच्चत्तवरत्त -- १ दोनों पार्श्व में स्थूल । २ अनियत भ्रमण ( दे १।१३९ ) ।
उच्चत्तवरत्तय -- दोनों पार्श्वो को ऊंचा-नीचा करना, इधर
उधर करना ( पा ६६३ ) ।
उच्चत्थ -- दृढ़, मजबूत ( दे १।९७ ) ।
उच्चप्प -- आरूढ, ऊपर बैठा हुआ ( दे १।१०० ) ।
उच्चरग -- कमरा, कक्ष ( निचू १ पृ ६७ ) ।
उच्चाड -- विपुल ( दे १।९७ ) ।
उच्चाडिर -- १ रोकनेवाला । २ अफसोस करने वाला ( प्रा २।१९३ ) ।
उच्चात -- परिश्रान्त ( व्यभा ६ टीप २५ ) ।
उच्चाय -- परिश्रान्त ( ओनि ५१८ ) । २ आलिंगन, परिरम्भ ।
उच्चार -- विमल, स्वच्छ ( दे १।९७ ) ।
उच्चारिय -- गृहीत ( दे १।११४ ) ।
उच्चिइय -- आभूषण-विशेष ( जीवटी प १४७ ) ।
उच्चिचिंवलय -- गंदा पानी ( पा १५८ ) ।
उच्चिडिम -- मर्यादा रहित, निर्लज्ज-'उच्चिडिमं मुक्कमज्जायं' ( पा ५११ ) ।
उच्चुंच -- दृप्त, अभिमानी ( दे १।९९ ) ।
उग्घाडपोरिसि -- प्रहर का तीन चौथाई भाग-'उद्घाटपौरु
उग्घाय -- १ संघात । २ विषमोन्नत प्रदेश ( दे १।१२६ ) ।
उग्घुट्ट -- १ पौरुष, शूरता ( दे १।९९ ) । २ लुप्त, विनष्ट ।
उचूलयालग -- नीचा सिर और ऊपर पांव कर पानी में डुबोना ( विपाटी प ७२ ) ।
उच्च -- नाभितल ( दे १।८६ ) ।
उच्चंतग -- दंतराग, दांतों को रंगने की मसी-'उच्
उच्
उच्चड्डिय -- उत्क्षिप्त, ऊपर उछाला हुआ ( दे १।१०६ ) ।
उच्चत्त -- निश्चित अवधि तक स्वामी के कथनानुसार कार्य करने वाला ( भृतक ) -'एच्चिरकालोच्चत्ते, कायव्वं कम्म जं बेंति' ( निभा ३७२० ) ।
उच्चत्तवरत्त -- १ दोनों पार्श्व में स्थूल । २ अनियत भ्रमण ( दे १।१३९ ) ।
उच्चत्तवरत्तय -- दोनों पार्श्वो को ऊंचा-नीचा करना, इधर
उधर करना ( पा ६६३ ) ।
उच्चत्थ -- दृढ़, मजबूत ( दे १।९७ ) ।
उच्चप्प -- आरूढ, ऊपर बैठा हुआ ( दे १।१०० ) ।
उच्चरग -- कमरा, कक्ष ( निचू १ पृ ६७ ) ।
उच्चाड -- विपुल ( दे १।९७ ) ।
उच्चाडिर -- १ रोकनेवाला । २ अफसोस करने वाला ( प्रा २।१९३ ) ।
उच्चात -- परिश्रान्त ( व्यभा ६ टीप २५ ) ।
उच्चाय -- परिश्रान्त ( ओनि ५१८ ) । २ आलिंगन, परिरम्भ ।
उच्चार -- विमल, स्वच्छ ( दे १।९७ ) ।
उच्चारिय -- गृहीत ( दे १।११४ ) ।
उच्चिइय -- आभूषण-विशेष ( जीवटी प १४७ ) ।
उच्
उच्चिडिम -- मर्यादा रहित, निर्लज्ज-'उच्चिडिमं मुक्कमज्जायं' ( पा ५११ ) ।
उच्चुंच -- दृप्त, अभिमानी ( दे १।९९ ) ।