देशीशब्दकोश /116
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देशी शब्दकोश
उक्कारिग – अलग होने का भेद - विशेष, जैसे एरंड के बीज से छिलका अलग
होता है (सूचू १ पृ १३०) ।
उक्कासिअ - उत्थित, उठा हुआ (दे १ । ११४) ।
da
उक्किट्ठि – निन्दा - पाणिए निब्बुड्डो, उक्किट्ठी कया, एवं डंभएहि लोगो
खज्जइ त्ति' (आवहाटी १ पृ २७५ ) ।
उक्कुंड – उन्मत्त (दे १।६१) ।
उक्कुट्ठ – आनन्द की महाध्वनि - उत्कृष्टिनाद - आनन्दमहाध्वनिरित्यर्थः
(प्रटी प ४६ ) ।
उक्फुट्ठि – १ खुशी की ध्वनि ( ति १३५ ) । २ ऊंचे स्वर से पुकारना - उक्कुट्ठी
पुक्कारो' (जीभा १७२२) । ३ निंदा - 'ण य कोलाहलं करे, ण
उक्कुट्टिबोलं वा करेज्ज रायसंसारियं वा (सूचू १ पृ १८२ ) ।
उक्कुड निक्कुडिया - बार बार उठ
बैठकर झांकना - उक्कुडनिक्कुडियाहि पलोएइ
भिक्खा वेला हूया न वत्ति' (आवमटी प २८१ ) ।
उक्फुडिक – कूडा-करकट डालने का स्थान (अंवि पृ २०६ ) ।
उक्कुडुनिउडिया – बार बार उठ बैठकर झांकना - 'उक्कुडुनिउडियाहि पलोएति
कं वेलं देसकालो भविस्सइत्ति' (आवचू १ पृ २८९) ।
४७
उक्कुरुड – १ ईंट, काठ आदि का ढेर (बृभा २६५३) । २ अकुरडी, घूरा,
कचरा डालने का स्थान (बृभा १९२५; दे १।११० ) । ३ रत्नों
की राशि - 'उक्कुरुडो रत्नादीनामपि राशि:' (वृ) ।
-
उक्कुरुडय–ढेर, कूडा डालने का स्थान (अनुद्वा ३४६ ) ।
उक्कुरुडिक – घूरा, कूडा डालने का स्थान ( अंवि पृ २०६ ) ।
उक्कुरुडिया – कूडा डालने की जगह - एयं तुमं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए
उज्झाहि' (विपा १।१।६५) ।
-
उक्कुरुडी – घूरा, कचरा डालने का स्थान ( दे १ । ११० ) – 'णच्चसि चडिअ
उक्कुरुडि' (वृ) ।
उक्कुलिंणी - गृह- उपकरण, भांड - विशेष (अंवि पृ ७२) ।
उक्केर – १ समूह (ओनि ७०४) । २ उपहार, भेंट ( दे १ ।९६)।
उक्केलाविय — उकेलाया हुआ, खुलवाया हुआ - 'राइणा उक्केलावियाई
चोल्लयाई, निरूवियाई समंतओ' (उसुटी प ६५ ) ।
उक्केल्ल – उकेलना, एक-एक कर उखाडना (दजिचू पृ १२४) ।
उक्कोड –– १ राज्यकर ( प्र ३ । ११ ) । २ रिश्वत (आचू पृ २३७) ।
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उक्कारिग – अलग होने का भेद - विशेष, जैसे एरंड के बीज से छिलका अलग
होता है (सूचू १ पृ १३०) ।
उक्कासिअ - उत्थित, उठा हुआ (दे १ । ११४) ।
da
उक्किट्ठि – निन्दा - पाणिए निब्बुड्डो, उक्किट्ठी कया, एवं डंभएहि लोगो
खज्जइ त्ति' (आवहाटी १ पृ २७५ ) ।
उक्कुंड – उन्मत्त (दे १।६१) ।
उक्कुट्ठ – आनन्द की महाध्वनि - उत्कृष्टिनाद - आनन्दमहाध्वनिरित्यर्थः
(प्रटी प ४६ ) ।
उक्फुट्ठि – १ खुशी की ध्वनि ( ति १३५ ) । २ ऊंचे स्वर से पुकारना - उक्कुट्ठी
पुक्कारो' (जीभा १७२२) । ३ निंदा - 'ण य कोलाहलं करे, ण
उक्कुट्टिबोलं वा करेज्ज रायसंसारियं वा (सूचू १ पृ १८२ ) ।
उक्कुड निक्कुडिया - बार बार उठ
बैठकर झांकना - उक्कुडनिक्कुडियाहि पलोएइ
भिक्खा वेला हूया न वत्ति' (आवमटी प २८१ ) ।
उक्फुडिक – कूडा-करकट डालने का स्थान (अंवि पृ २०६ ) ।
उक्कुडुनिउडिया – बार बार उठ बैठकर झांकना - 'उक्कुडुनिउडियाहि पलोएति
कं वेलं देसकालो भविस्सइत्ति' (आवचू १ पृ २८९) ।
४७
उक्कुरुड – १ ईंट, काठ आदि का ढेर (बृभा २६५३) । २ अकुरडी, घूरा,
कचरा डालने का स्थान (बृभा १९२५; दे १।११० ) । ३ रत्नों
की राशि - 'उक्कुरुडो रत्नादीनामपि राशि:' (वृ) ।
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उक्कुरुडय–ढेर, कूडा डालने का स्थान (अनुद्वा ३४६ ) ।
उक्कुरुडिक – घूरा, कूडा डालने का स्थान ( अंवि पृ २०६ ) ।
उक्कुरुडिया – कूडा डालने की जगह - एयं तुमं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए
उज्झाहि' (विपा १।१।६५) ।
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उक्कुरुडी – घूरा, कचरा डालने का स्थान ( दे १ । ११० ) – 'णच्चसि चडिअ
उक्कुरुडि' (वृ) ।
उक्कुलिंणी - गृह- उपकरण, भांड - विशेष (अंवि पृ ७२) ।
उक्केर – १ समूह (ओनि ७०४) । २ उपहार, भेंट ( दे १ ।९६)।
उक्केलाविय — उकेलाया हुआ, खुलवाया हुआ - 'राइणा उक्केलावियाई
चोल्लयाई, निरूवियाई समंतओ' (उसुटी प ६५ ) ।
उक्केल्ल – उकेलना, एक-एक कर उखाडना (दजिचू पृ १२४) ।
उक्कोड –– १ राज्यकर ( प्र ३ । ११ ) । २ रिश्वत (आचू पृ २३७) ।
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