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उंबा - बन्धन ( दे ११८६ ) ।
 
उंबी - - पका हुआ गेहूं ( दे ११८६ ) ।
 
उंबेभरिया – एकास्थिक वृक्ष - विशेष ( प्रज्ञा १॥३५ ) ।
 
उकरड – कूडा-करकट डालने का स्थान- भाषायाम् उकुरडो इति प्रसिद्धं
मलनिक्षेपणस्थानम्' (राजटी पृ २६ ) ।
 
उकुरटिका — अकुरड़ी, कूड़ा डालने का स्थान ( ओटीप १६२ ) ।
 
उक्क -- पाद-पतन, पैरों में गिरना ( दे ११८५ ) ।
 
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उक्कंचण - १ बंधन- वंसग कडणोक्कंचण छावण छेवण दुवार भूमी य
( बृभा ५८३) । २ माया (दश्रुचूप ४० ) । ३ झूठी प्रशंसा,
चापलूसी, अगुणी के गुण बताना (ज्ञाटी प ८६ ) । ४ घूंस,
रिश्वत । ५ मूर्ख या भोले पुरुष को ठगने वाले धूतं का,
समीपस्थ विचक्षण व्यक्ति के भय से, कुछ समय के लिए निश्चेष्ट
रहना (ज्ञाटी प २४५ ) । ६ मानोन्मान में कुटिलता करने वाले
ठग का, अधिकारी की उपस्थिति में, कहीं यह राजा को मेरी
शिकायत न कर दे, इस चिन्तन से छुप जाना (सूचू २ पृ ४६२)
 
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• उक्कंठुलय - उत्सुक (कु पृ १३४) ।
उक्कंडा - रिश्वत, लंचा ( दे ११९२ ) ।
 
देशी शब्दकोश
 
उक्कंति – कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे ११८७) ।
उक्कंती – कूपतुला ( दे ११८७ ) ।
 
उक्कंदि - कूपतुला, कूप से पानी खींचने का साधन ( दे ११८७)।
उक्कंदी – कूपतुला (दे ११८७) ।
 
उक्कंपित – बांस की खपचियों से बांधा हुआ ( दश्रुचू प ६५) ।
 
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उक्कंबिय – बांस की खपचियों से बांधा हुआ - 'कडिए वा उक्कंबिए वा छन्ने
वा लित्ते वा' (आचूला २।१०) ।
 
उक्कड — त्रीन्द्रिय जंतु- विशेष (प्रज्ञा १।५० ) ।
 
उक्कडिअ – तोड़ा हुआ, छिन्न ( पा ४६६) ।
 
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उक्कल - मकड़ी (उ ३६।१३७) ।
 
उक्कलिय – १ त्रीन्द्रिय जन्तु, मकड़ी ( प्रज्ञा ११५० ) । २ उबला हुआ।
 
उक्कली – मकड़ी, लूता ( दअचू पृ १८८ ) ।
 
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उक्का – कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे ११८७ )।
उक्कारिका –खाद्य पदार्थ विशेष (अंवि पृ १८२ ) ।
 
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