देशीशब्दकोश /115
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उंबा -- बन्धन ( दे १।८६ ) ।
उंबी -- पका हुआ गेहूं ( दे १।८६ ) ।
उंबेभरिया -- एकास्थिक वृक्ष-विशेष ( प्रज्ञा १।३५ ) ।
उकरड -- कूडा-करकट डालने का स्थान-'भाषायाम् उकुरडो इति प्रसिद्धं मलनिक्षेपणस्थानम्' ( राजटी पृ २६ ) ।
उकुरटिका -- अकुरड़ी, कूड़ा डालने का स्थान ( ओटी प १६२ ) ।
उक्क -- पाद-पतन, पैरों में गिरना ( दे १।८५ ) ।
उक्कंचण -- १ बंधन-'वंसग कडणोक्कंचण छावण छेवण दुवार भूमी य' ( बृभा ५८३ ) । २ माया ( दश्रुचू प ४० ) । ३ झूठी प्रशंसा, चापलूसी, अगुणी के गुण बताना ( ज्ञाटी प ८६ ) । ४ घूंस, रिश्वत । ५ मूर्ख या भोले पुरुष को ठगने वाले धूर्त का, समीपस्थ विचक्षण व्यक्ति के भय से, कुछ समय के लिए निश्चेष्ट रहना ( ज्ञाटी प २४५ ) । ६ मानोन्मान में कुटिलता करने वाले ठग का, अधिकारी की उपस्थिति में, कहीं यह राजा को मेरी
शिकायत न कर दे, इस चिन्तन से छुप जाना ( सूचू २ पृ ४६२ ) ।
उक्कंठुलय -- उत्सुक ( कु पृ १३४ ) ।
उक्कंडा -- रिश्वत, लंचा ( दे १।९२ ) ।
उक्कंति -- कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ ) ।
उक्कंती -- कूपतुला ( दे १।८७ ) ।
उक्कंदि -- कूपतुला, कूप से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ )।
उक्कंदी -- कूपतुला ( दे १।८७ ) ।
उक्कंपित -- बांस की खपचियों से बांधा हुआ ( दश्रुचू प ६५ ) ।
उक्कंबिय -- बांस की खपचियों से बांधा हुआ - 'कडिए वा उक्कंबिए वा छन्ने वा लित्ते वा' ( आचूला २।१० ) ।
उक्कड -- त्रीन्द्रिय जंतु- विशेष ( प्रज्ञा १।५० ) ।
उक्कडिअ -- तोड़ा हुआ, छिन्न ( पा ४९६ ) ।
उक्कल -- मकड़ी ( उ ३६।१३७ ) ।
उक्कलिय -- १ त्रीन्द्रिय जन्तु, मकड़ी ( प्रज्ञा १।५० ) । २ उबला हुआ।
उक्कली -- मकड़ी, लूता ( दअचू पृ १८८ ) ।
उक्का -- कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ )।
उक्कारिका -- खाद्य पदार्थ-विशेष ( अंवि पृ १८२ ) ।
उंबी -- पका हुआ गेहूं ( दे १।८६ ) ।
उंबेभरिया -- एकास्थिक वृक्ष-विशेष ( प्रज्ञा १।३५ ) ।
उकरड -- कूडा-करकट डालने का स्थान-'भाषायाम् उकुरडो इति प्रसिद्धं मलनिक्षेपणस्थानम्' ( राजटी पृ २६ ) ।
उकुरटिका -- अकुरड़ी, कूड़ा डालने का स्थान ( ओटी प १६२ ) ।
उक्क -- पाद-पतन, पैरों में गिरना ( दे १।८५ ) ।
उक्कंचण -- १ बंधन-'वंसग कडणोक्कंचण छावण छेवण दुवार भूमी य' ( बृभा ५८३ ) । २ माया ( दश्रुचू प ४० ) । ३ झूठी प्रशंसा, चापलूसी, अगुणी के गुण बताना ( ज्ञाटी प ८६ ) । ४ घूंस, रिश्वत । ५ मूर्ख या भोले पुरुष को ठगने वाले धूर्त का, समीपस्थ विचक्षण व्यक्ति के भय से, कुछ समय के लिए निश्चेष्ट रहना ( ज्ञाटी प २४५ ) । ६ मानोन्मान में कुटिलता करने वाले ठग का, अधिकारी की उपस्थिति में, कहीं यह राजा को मेरी
शिकायत न कर दे, इस चिन्तन से छुप जाना ( सूचू २ पृ ४६२ ) ।
उक्कंठुलय -- उत्सुक ( कु पृ १३४ ) ।
उक्कंडा -- रिश्वत, लंचा ( दे १।९२ ) ।
उक्कंति -- कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ ) ।
उक्कंती -- कूपतुला ( दे १।८७ ) ।
उक्कंदि -- कूपतुला, कूप से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ )।
उक्कंदी -- कूपतुला ( दे १।८७ ) ।
उक्कंपित -- बांस की खपचियों से बांधा हुआ ( दश्रुचू प ६५ ) ।
उक्कंबिय -- बांस की खपचियों से बांधा हुआ - 'कडिए वा उक्कंबिए वा छन्ने वा लित्ते वा' ( आचूला २।१० ) ।
उक्कड -- त्रीन्द्रिय जंतु-
उक्कडिअ -- तोड़ा हुआ, छिन्न ( पा ४९६ ) ।
उक्कल -- मकड़ी ( उ ३६।१३७ ) ।
उक्कलिय -- १ त्रीन्द्रिय जन्तु, मकड़ी ( प्रज्ञा १।५० ) । २ उबला हुआ।
उक्कली -- मकड़ी, लूता ( दअचू पृ १८८ ) ।
उक्का -- कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन ( दे १।८७ )।
उक्कारिका -- खाद्य पदार्थ-विशेष ( अंवि पृ १८२ ) ।