2023-02-21 09:26:50 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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रुक्कंति सद्दकरणं, तं च वसभढिक्कियाइ' ( अनुद्वाचू पृ १३ ) ।
उंडल -- १ मंच, मचान । २ समूह ( दे १।१२९ ) ।
उंडि -- मुद्रा ( व्यभा ६ टी प ३५ ) ।
उंडिअ -- मुद्रा वाला ( व्यभा ६ टीप ३५ ) ।
उंडिय -- मांस-पिण्ड-'तेसि जीवंतगाणं चेव हिययउंडियाओ गिण्हावेइ' ( विपा १५।१५ ) ।
उंडिया -- मुद्रा विशेष, पत्र पर लगाई जाने वाली मुहर ( बूभा १८९ ) । - उंडिया लेहस्स मुद्दा इति चूणौ ( टी पृ ६१ ) ।
उंडी -- पिंड, गोलाकार वस्तु-'तत्थ णं एगा वणमयूरी दो पुट्ठे परियागए पिट्टुंडीपंडुरे निव्वणे निरुवहए भिण्णमुट्ठिप्पमाणे मयूरी-अंडए पसवइ ( ज्ञा १।३।५ ) ।
उंडुय -- स्थान-'सपिडपायमागम्म उंडुयं पडिलेहिया' ( द ५।१।८७ ) ।
उंडेरग -- एक प्रकार का धान्य ( आवचू २ पृ ३१७ )
उंडेरय -- खाद्य वस्तु, बड़ा ( आवचू २ पृ १६८ ) ।
उंढिय -- संकुचित-'जह वा उंढियपादे पाअं काऊण हत्थिणो पुरिसे' ( व्यभा १० टी प ७३ ) ।
उंत -- मंत्र का अभीष्ट शब्द, देव-विशेष ( अंवि पृ ९ ) ।
उंदर -- चूहा ( उशाटी प १६९ ) ।
उंदु -- मुख-देशीवचनं उन्दु-मुखं' ( अनुद्वामटी प २६ ) ।
उंदुक -- स्थान-'उंदुकं इति स्थानम्' ( बृटी पृ ३८० ) ।
उंदुय -- स्थान ( बृभा १२२३ ) ।
उंदुर -- १ वृक्ष पर रहने वाला प्राणी-विशेष ( अंवि पृ २२६ ) । २ पर्वत की कन्दरा में रहने वाला प्राणी- विशेष ( अंवि पृ २२७ ) ।
उंदुरअ -- लम्बा दिन ( दे १।१०५ ) ।
उंदुरी -- चुहिया ( अंवि पृ ६९ ) ।
उंदुरुक्क -- मुंह से वृषभ की भांति शब्द करना - -'उंदुरुक्क त्ति देशीवचनं उन्दु-मुखं तेन रुक्कं-वृषभादिशब्दकरणमुन्दुरुक्कं देवतादिपुरतों वृषभगर्जितादिकरणमित्यर्थ:' ( अनुद्रामटी प २६ ) ।
उंदोइया -- चुहिया ( बूटी पृ ३६० ) ।
उंबभरिया -- एकास्थिक वृक्ष-विशेष ( भ ८।२१९।२ ) ।
उंबर -- प्रचुर ( दे १।९० ) ।
उंबरउफ -- नवीन अभ्युदय, अपूर्व उन्नति ( दे १।११९ ) ।