देशीशब्दकोश /113
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४४
उअचिय परिकर्मित (औपटी पृ ३२ ) ।
उअट्टी— नीवी, स्त्री का कटिवस्त्र या कटिवस्त्र के दी जाने वाली रस्सी की
गांठ, नाडा (नारा) (पा ४९१) ।
उअत्त-निष्क्रांत, अतिक्रांत- 'जाहे जलं वेलाए उअत्तं भवति'
(निचू ३ पृ १४०) ।
उअपोत - आकीर्ण, व्याप्त - ' उअपोते देशीपदत्वाद् आकीर्णे'
( बूटी पृ८८९) ।
उअरी – शाकिनी, देवी- विशेष ( दे १९९८ ) - ( उंछयवाडे मज्जारिरूवयाओ
भमन्ति उअरीओ' (वृ) ।
उअह --देखो- 'उअह त्ति पेच्छहत्थे' ( दे ११९८) ।
उअहारी — दोहन करने वाली स्त्री (दे १ । १०८) ।
उआलि-अवतंस, शिरोभूषण ( दे १९६०) ।
उइंतण-उत्तरीय वस्त्र, चादर ( दे १११०३) ।
उगुणी – वनस्पति विशेष (अंवि पृ ७० ) ।
उचहिआ–चक्रधारा (दे १११०६) ।
उंछ - १ गर्ह्य, जुगुप्सनीय (सूटी १ प १०८) । २ छींपा, कपड़ों को छापने
वाला (पा ७७०
90 ) ।
उंछय – वस्त्र छापने का काम करने वाला ( दे १९९८ ) ।
उंजण -- उत्सेचन (दजिचू पृ १५६ ) ।
उंड- -१ मुख- देसीवयणतो उंडं - मुहं' (अनुद्वाचू पृ १३ ) । २ ऊंडा, गहरा
( औपटी पृ ५ ; दे ११८५ ) - खणिआ उड्डेहि कूवया य अइउंडा ' ( वृ) 1
उंडअ— पांव में पिण्डरूप में लग जाए उतना गहरा कीचड़ (ओभा ३३ )
——उंडका – पिण्डकास्तद्रूपो यो भवति, पादयोर्यः पिण्डरूपतया
लगति स पिण्डक इत्यर्थः (टीप २६ ) । उंडे - मिट्टी, गोबर
( कन्नड़) ।
उंडग - १ स्थण्डिल (द ४१२३ ) ।
मज्जाराई
देशी शब्दकोश
२ पिण्ड, लोथड़ा- 'बालाई मंसउंडग
राहेज्जा' (ओभा २४६) ।
उंडणाही- अंतरिक्ष में होने वाले क्षुद्र जंतु- अंत लिक्खेसु संताणका उंडणाही
घुक्कभरधा वा वि विष्णेया' ( अंवि पृ २२६) ।
उंडय -- मांसपिण्ड- 'तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गिव्हावेइ'
(विपा ११५११४) ।
उंडरुक्क - मुंह से वृषभ की भांति शब्द करना - 'देसीवयणतो उंडं-मुहं तेण
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उअचिय परिकर्मित (औपटी पृ ३२ ) ।
उअट्टी— नीवी, स्त्री का कटिवस्त्र या कटिवस्त्र के दी जाने वाली रस्सी की
गांठ, नाडा (नारा) (पा ४९१) ।
उअत्त-निष्क्रांत, अतिक्रांत- 'जाहे जलं वेलाए उअत्तं भवति'
(निचू ३ पृ १४०) ।
उअपोत - आकीर्ण, व्याप्त - ' उअपोते देशीपदत्वाद् आकीर्णे'
( बूटी पृ८८९) ।
उअरी – शाकिनी, देवी- विशेष ( दे १९९८ ) - ( उंछयवाडे मज्जारिरूवयाओ
भमन्ति उअरीओ' (वृ) ।
उअह --देखो- 'उअह त्ति पेच्छहत्थे' ( दे ११९८) ।
उअहारी — दोहन करने वाली स्त्री (दे १ । १०८) ।
उआलि-अवतंस, शिरोभूषण ( दे १९६०) ।
उइंतण-उत्तरीय वस्त्र, चादर ( दे १११०३) ।
उगुणी – वनस्पति विशेष (अंवि पृ ७० ) ।
उचहिआ–चक्रधारा (दे १११०६) ।
उंछ - १ गर्ह्य, जुगुप्सनीय (सूटी १ प १०८) । २ छींपा, कपड़ों को छापने
वाला (पा ७७०
90 ) ।
उंछय – वस्त्र छापने का काम करने वाला ( दे १९९८ ) ।
उंजण -- उत्सेचन (दजिचू पृ १५६ ) ।
उंड- -१ मुख- देसीवयणतो उंडं - मुहं' (अनुद्वाचू पृ १३ ) । २ ऊंडा, गहरा
( औपटी पृ ५ ; दे ११८५ ) - खणिआ उड्डेहि कूवया य अइउंडा ' ( वृ) 1
उंडअ— पांव में पिण्डरूप में लग जाए उतना गहरा कीचड़ (ओभा ३३ )
——उंडका – पिण्डकास्तद्रूपो यो भवति, पादयोर्यः पिण्डरूपतया
लगति स पिण्डक इत्यर्थः (टीप २६ ) । उंडे - मिट्टी, गोबर
( कन्नड़) ।
उंडग - १ स्थण्डिल (द ४१२३ ) ।
मज्जाराई
देशी शब्दकोश
२ पिण्ड, लोथड़ा- 'बालाई मंसउंडग
राहेज्जा' (ओभा २४६) ।
उंडणाही- अंतरिक्ष में होने वाले क्षुद्र जंतु- अंत लिक्खेसु संताणका उंडणाही
घुक्कभरधा वा वि विष्णेया' ( अंवि पृ २२६) ।
उंडय -- मांसपिण्ड- 'तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गिव्हावेइ'
(विपा ११५११४) ।
उंडरुक्क - मुंह से वृषभ की भांति शब्द करना - 'देसीवयणतो उंडं-मुहं तेण
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