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देशी शब्दकोश
 
चालिज्जति, तत्थ देवता काधिति, कहेंतस्स परिणापसिणं भवति,
स एव इंखिणि भण्णति' (निचू ३ पृ ३८३) ।
 
इंखिणिया-१ अवहेलना - अदु इंखिणिया उ पाविया' (सू ११२९२४) ।
२ घुघरु, घंटिका-इंखिणियाओ-घंटियाओ'
( आवचू १ पृ १५७ )।
 
इंखिणी- १ खिसणा, निन्दा - 'अहसेयकरी अण्णेसि इंखिणी' (सू १ । २ । २३ )
- 'इंखिणी णाम खिसणा निन्दणा होलणा' (सूचू १ पृ ५६ ) ।
२ किंकिणी, छोटी घंटिका ( आवदीप ६० )।
-इक्षुखण्ड ( दे ११७६)।
 
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इंगाली-
'इंघिय – व्रात, सूंघा हुआ ( दे १९८०)।
 
इंचक – मत्स्य- विशेष ( अंवि पृ २२८ ) - इंचका कुडुकालक सित्यमच्छका
इंदगाइ – वे कीट जो युक्त होकर एक के ऊपर एक चढ़कर घूमते हैं
( दे १।८१ ) ।
 
-
 
इंबग्गि – हिम, बर्फ ( दे
 
१९८० ) ।
 
इंदग्गिधूम – हिम, बर्फ ( दे १९८० ) ।
 
'इंदट्ठलअ – 'इन्द्रमह' उत्सव की संपन्नता पर विधिपूर्वक 'इन्द्रध्वज' को
हटाना ( दे १९८२)
 
इंदड्डलय – 'इन्द्रमह' उत्सव की संपन्नता पर विधिपूर्वक 'इन्द्रध्वज' को
हटाना ( दे ११८२ ) ।
 
इंदमह – १ कार्तिकेय । २ कुमारावस्था ( दे १।८१) ।
 
-
 
इंदमहकामुय–कुत्ता ( दे ११५२ ) ।
 
इंदिआलि – भूमीकर्म की विद्या का अभीष्ट शब्द, मंत्र - विशेष का शब्द -
'इमा भूमीकम्मस्स विज्जा – इंदिआली इंदिआालि माहिदे मारुदि
स्वाहा' ( अंवि पृ८)।
 
इंदिआली— भूमिकर्म की विद्या का अभीष्ट शब्द, मंत्र- विशेष का शब्द
( अंवि पृ८८ ) ।
 
इंदिदिर - भ्रमर ( दे १ । ७६ ) - कैश्चित् इंदिदिर शब्दोऽपि देश्य उक्तः' ।
इंदोवत्त — इन्द्रगोपक, वर्षाऋतु में होने वाला लाल या सफेद रंग का कीट-
विशेष (दे ११८१) ।
 
इक - प्रवेश - 'इकमप्पए पवेसण मेयं ' ( विभा ३४८३ ) - इकशब्दो देशीवचनः
क्वापि प्रवेशार्थे वर्तते' (टीपृ ३४३ ) ।
 
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