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देशी शब्दकोश
 
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आय – १ कुहन वनस्पति विशेष (प्रज्ञा ११४७ ) । २ वनस्पति विशेष से बना
वस्त्र - 'आयं णाम तोसलिविसए सीयतलाए अयाणं खुरेसु सेवालतरिया
लग्गंति, तत्थ वत्था कीरति ' ( निचू २ पृ ३६६ ) । ३ देश-विशेष की
अजा-बकरी के सूक्ष्म रोम से निर्मित वस्त्र ( आटी प ३९३ ) ।
आयंचण – गोमूत्र, गोबर, मेंगनी तथा खारी मिट्टी आदि (निचू ४ पृ ३५८ ) ।
आयंचणिया-कुंभकार का वह पात्र, जिसमें वह घड़ा आदि बनाते समय
मिट्टी का पानी रखता है (भटी पृ १२५७) ।
 
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आयंस - बैल आदि के गले का आभूषण- आदर्शस्तु वृषभादिग्रीवाभरणं'
(अनुद्वामटीप ४३ ) ।
 
आयड्ढि — विस्तार (दे १।६४) ।
आयल्ल - रोग (पा ८२ ) ।
 
आयल्लय – बेचैन करने वाला, दर्दनाक - आयल्लयवृत्तंतो जइ वि तए
साहिओ' ( कुपृ १८१) ।
 
आयाबल - बाल- आतप, प्रातःकालीन सूर्य का आतप (दे १।७०) ।
 
आयाम – १ बल । २ दीर्घ (दे १।६४) ।
आयावल – सुबह की धूप ( दे ११७० ) ।
आयावलय - सुबह की धूप (पा ६०६) ।
आयासतल- - प्रासाद का पिछला भाग ( दे १ । ७२ ) ।
आयासलव-पक्षिगृह, नीड ( दे १।७२) ।
 
आयुस–क्षुरकर्म, हजामत - 'हाविता पुच्छिता–केण आउसं कारितं ?'
( नंदीटि पृ १३६ ) ।
 
आयोइल्लाग - - कैदी ( दश्रुचू प ३६ ) ।
आरंदर – १ जनसंकुल । २ संकीर्ण ( दे १।७८) ।
आरंभिअ - मालाकार, माली ( दे ११७१)।
आरकुड – धातु- विशेष, पीतल ( अंवि पृ १६२) ।
आरडिअ -१ विलाप, ऋन्दन । २ सचित्र ( दे ११७५ वृ) ।
आरण–अधर, होठ ( दे ११७६ ) ।
 
आरणाल- १ कमल ( दे ११६७ ) । २ कांजी (वृ) ।
आरद्ध- -१ प्रवृद्ध । २ उत्सुक । ३ घर में आया हुआ (दे १९७५) ।
आरनाल- • १ कांजी - 'कंजियं देसीभासाए आरनालं भण्णति'
(निचू १ पृ ७४) । २ कमल ( दे ११६७ ) ।
आरबी – देश-विशेष की दासी, अरब देश की दासी (ज्ञा ११११८२) ।
 
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