2023-02-20 16:05:55 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

This page has been fully proofread twice.

आय -- १ कुहन वनस्पति-विशेष ( प्रज्ञा १।४७ ) । २ वनस्पति-विशेष से बना वस्त्र-'आयं णाम तोसलिविसए सीयतलाए अयाणं खुरेसु सेवालतरिया लग्गंति, तत्थ वत्था कीरंति ' ( निचू २ पृ ३९९ ) । ३ देश-विशेष की अजा-बकरी के सूक्ष्म रोम से निर्मित वस्त्र ( आटी प ३९३ ) ।
आयंचण -- गोमूत्र, गोबर, मेंगनी तथा खारी मिट्टी आदि ( निचू ४ पृ ३५८ ) ।
आयंचणिया -- कुंभकार का वह पात्र, जिसमें वह घड़ा आदि बनाते समय मिट्टी का पानी रखता है ( भटी पृ १२५७ ) ।
आयंस -- बैल आदि के गले का आभूषण-'आदर्शस्तु वृषभादिग्रीवाभरणं' ( अनुद्वामटी प ४३ ) ।
आयड्ढि -- विस्तार ( दे १।६४ ) ।
आयल्ल -- रोग ( पा ८२ ) ।
आयल्लय -- बेचैन करने वाला, दर्दनाक-'आयल्लयवुत्तंतो जइ वि तए साहिओ' ( कुपृ १८१ ) ।
आयाबल --- बाल-आतप, प्रातःकालीन सूर्य का आतप ( दे १।७० ) ।
आयाम -- १ बल । २ दीर्घ ( दे १।६४ ) ।
आयावल -- सुबह की धूप ( दे १।७० ) ।
आयावलय -- सुबह की धूप ( पा ६०९ ) ।
आयासतल -- प्रासाद का पिछला भाग ( दे १।७२ ) ।
आयासलव -- पक्षिगृह, नीड ( दे १।७२ ) ।
आयुस -- क्षुरकर्म, हजामत-'ण्हाविता पुच्छिता–केण आउसं कारितं ?' ( नंदीटि पृ १३९ ) ।
आयोइल्लाग -- कैदी ( दश्रुचू प ३९ ) ।
आरंदर -- १ जनसंकुल । २ संकीर्ण ( दे १।७८ ) ।
आरंभिअ -- मालाकार, माली ( दे १।७१ )।
आरकुड -- धातु-विशेष, पीतल ( अंवि पृ १६२ ) ।
आरडिअ -- १ विलाप, ऋन्दन । २ सचित्र ( दे १।७५ वृ ) ।
आरण -- अधर, होठ ( दे १।७६ ) ।
आरणाल -- १ कमल ( दे १।६७ ) । २ कांजी ( वृ ) ।
आरद्ध -- १ प्रवृद्ध । २ उत्सुक । ३ घर में आया हुआ ( दे १।७५ ) ।
आरनाल -- १ कांजी-'कंजियं देसीभासाए आरनालं भण्णति' ( निचू १ पृ ७४ ) । २ कमल ( दे १।६७ ) ।
आरबी -- देश-विशेष की दासी, अरब देश की दासी ( ज्ञा १।१।८२ ) ।