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स्तोत्रग्रन्थमाला - तृतीयो भागः
 
गणपतिकविना रचितं स्तोत्रम्
 
गणपतिपण्डितरचितं स्तोत्रम्
 
गणपतिसेवित गुणगणसागर
गणराण्मुखसूरिसभागुरुणा
गत्वा तिष्ठति ना
 
गमय मस्तकात्कुलगृहानलम्
गर्भोऽसमष्टकाव्योयु-
गाणपतमग्नेः सर्वजनहृद्यम्
 
गाणपतमेतद्गीतमतिशुद्धम्
गातारं गणपं गायत्रैर्मुकुलैः
गायत स्तुताद्रियध्वमाश्रयध्वमुत्तमं
 
गायत्रमनघस्तोत्रं गणपतेः
गिरमिमामहं त्रिदशभूपते
 
गीताः कविराजा
गूर्तश्रवा विश्वगूर्तो
गृणत्सदवनप्रकारनिपुणा
गोपायसि विश्वम्
गौरोऽयं गगने
 

 
घटिकाचलमालयमादधता
घटिकाचलवासिनमीशमजम्
घटिकापर्वतवासि नृकेसरी
 
घु ष्यन्नसि रुद्रो दीप्यन्नसि शक्रः
घृ वोजा अविताधीनाम्
 

 
ङः प्रत्येकं न यथा वाक्ये
 

 
चक्षुर्मम शिवः श्रोत्रं मम शिवः
चतुरविरोधिव्रजहृतसाराम्
चतुरास्यस्त्वञ्चक्रधरस्त्वम्
 
८८
 
९४
 
९१
 

 
२३, १२५
 
१२३
 
४४
 
१०१
 
१०४
 
१२७
 
११५
 
२९
 
६०
 
१११
 
३९
 
१०६
 
२४, १२७
 
८४
 
८४
 
९१
 
११०
 
३४
 
९१
 
२९
 
१५, २१
 
८८, ९६