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स्तोत्रग्रन्थमाला - तृतीयो भागः
लक्ष्मणसेवित मङ्गललक्षणलक्षित शिक्षितदुष्ट हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४५ ॥
९४
वालिविनाशन वारिधिबन्धन वनचरसेवितपाद हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४६ ॥
शङ्करकीर्त्तित निजनामामृतशत्रुनिबर्हणबाणहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४७ ॥
षड्गुणमण्डित षड्दोषापह दोषाचरकुलकाल हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४८ ॥
सदय सदाशिवपूजितपादुक हृदयविराजित दयित हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४९ ॥
हस्तचतुष्टयभासुरनन्दक शङ्खगदारथचरण हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५० ॥
ळुबुळुबुनिःस्वनमज्जितमन्दरपर्वतधारणकूर्म हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५१ ॥
क्षयितनिशाटक्षान्तिगुणाढ्य क्षेत्रज्ञात्मक देव हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५२ ॥
गणपतिपण्डितरचितं स्तोत्रं कृष्णस्येदं जयतु धरण्याम् ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५३ ॥
लक्ष्मणसेवित मङ्गललक्षणलक्षित शिक्षितदुष्ट हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४५ ॥
९४
वालिविनाशन वारिधिबन्धन वनचरसेवितपाद हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४६ ॥
शङ्करकीर्त्तित निजनामामृतशत्रुनिबर्हणबाणहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४७ ॥
षड्गुणमण्डित षड्दोषापह दोषाचरकुलकाल हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४८ ॥
सदय सदाशिवपूजितपादुक हृदयविराजित दयित हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ४९ ॥
हस्तचतुष्टयभासुरनन्दक शङ्खगदारथचरण हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५० ॥
ळुबुळुबुनिःस्वनमज्जितमन्दरपर्वतधारणकूर्म हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५१ ॥
क्षयितनिशाटक्षान्तिगुणाढ्य क्षेत्रज्ञात्मक देव हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५२ ॥
गणपतिपण्डितरचितं स्तोत्रं कृष्णस्येदं जयतु धरण्याम् ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ५३ ॥