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स्तोत्रग्रन्थमाला - तृतीयो भागः
 
ञाक्षरयुतजाधात्वर्थे परिनिष्ठित नैष्ठिकगम्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ २७ ॥
 
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टङ्कारध्वनिकारिधनुर्धरशातशराहतदैत्य हरे ।
 
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ २८ ॥
 
ठमिति मनुं वा समिति मनुं वा जपतां सिद्धिद नाथ हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ २९ ॥
 
डमरुकरेश्वरपूजितनिर्जितरावणदानव राम हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३० ॥
 
ढक्कावाद्यप्रिय भयवारण विनयविवर्जितदूर हरे ।
 
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३१ ॥
 
णटधात्वर्थे पण्डितमण्डितसकलावयवोद्भासि हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३२ ॥
 
तत्त्वमसीति व्याहृतिवाच्यप्राच्यधिनायकपूज्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३३ ॥
 
थूत्कारानिलवेगनभोगतसप्तसमुद्रवराह हरे ।
 
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३४ ॥
 
दयितालिङ्गितवक्षोभासुर भूसुरपूजितपाद हरे ।
 
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ३५ ॥