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स्तोत्रग्रन्थमाला - तृतीयो भागः
ऋकारप्रिय ऋक्षगणेश्वरवन्दितपादपयोज हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ९ ॥
ऌतकसमर्चित काङक्षितदायक कुक्षिगताखिललोकहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १० ॥
लृवल्लोकाचारसमीरित रूपविवर्जित नित्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ११ ॥
एकमनोमुनिमानसगोचर गोकुलपालक वेषहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १२ ॥
ऐरावतकरसन्निभदोर्बल निर्जितदानवसैन्यहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १३ ॥
ओङ्काराम्बुज वनकलहंसक कलिमलनाशन नामहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १४ ॥
औन्नत्याश्रय संश्रितपालक पाकनिबर्हणसहजहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १५ ॥
अङ्गदसेवित भङ्गविवर्जित सङ्गविवर्जित सेव्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १६ ॥
अस्तगिरिस्थितभास्करलोहितचरणसरोजतलाढङ्घ्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १७ ॥
स्तोत्रग्रन्थमाला - तृतीयो भागः
ऋकारप्रिय ऋक्षगणेश्वरवन्दितपादपयोज हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ९ ॥
ऌतकसमर्चित काङक्षितदायक कुक्षिगताखिललोकहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १० ॥
लृवल्लोकाचारसमीरित रूपविवर्जित नित्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ ११ ॥
एकमनोमुनिमानसगोचर गोकुलपालक वेषहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १२ ॥
ऐरावतकरसन्निभदोर्बल निर्जितदानवसैन्यहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १३ ॥
ओङ्काराम्बुज वनकलहंसक कलिमलनाशन नामहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १४ ॥
औन्नत्याश्रय संश्रितपालक पाकनिबर्हणसहजहरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १५ ॥
अङ्गदसेवित भङ्गविवर्जित सङ्गविवर्जित सेव्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १६ ॥
अस्तगिरिस्थितभास्करलोहितचरणसरोजतलाढङ्घ्य हरे ।
कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण जनार्दन कृष्ण हरे ॥ १७ ॥