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श्लोकाः
 
षड्वर्गवश्यः ...
 
संयुचूषुम्
संवर्गयांचकार
 
...
 
...
 
संवाद्भिः सकुसुम •
 
संवित्तः सह
 
*♥.
 
SUD
 
संगच्छ राम०
 
संग्रामे
 
संघर्षयोगिणः
 
सच विह्वल●
स चापि रुधिर्
सजलाम्भोद •
संचेरुः सहसा
संजानानान्
 
स.
 
संश्रृणुष्व
संसर्गी परि०
 
संतिस्मविषमाणो
 
संस्तावमिव...
स एव धारयेत्
सकिर: कल्पितम्
 
संजुघुक्षवः
संज्वारिणेव...
स तानाजीगणत्
सतामरुष्करम्
सतामबिभ्रमत्
स तामूचे
सत्त्वं समदुधुक्षच
सत्वं हनिष्यन्
 
...
 
..
 
...
 
सख्यस्य तव
 
स गिरिं तरु०
संकल्पं नाकरिष्यच्च
 
संक्रुध्यसि
संक्ष्णुवानः
संगच्छ पनि
 
...
 
--
 
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श्लोकाङ्काः.
 
...
 
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९७०
 
२२
 
श्लोकाः
 
सत्वमेजय ●
 
सत्वानजस्रम्
 
सदोद्वार •
 
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४७३ संधानकारणम्
१५०४ संधानमेवास्तु
९४३ । संधुक्षितं मण्डलं
३६२ । संथों स्थितो वा
 
७०८ सद्रत्नमुक्ता ●
 
११६२ । संदर्शितस्नेह •
१५८९ संत्रस्तानामपाहारि०
२२० । संत्रासयांचकार
५५८ । संदिदर्शयिपुः
४४२ ।संदृश्य शरणम्
७२६ ।संदुधुक्षे तयोः
 
८३३ सन्नत्स्याम्यथवा
 
१५७१ । सपक्षोऽद्रिरिवा
स पुण्य कीर्तिः
 
६१८
 
५८२
 
२७४
 
...
 
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सप्तषष्टिं प्लवङ्गानाम्...
 

 
स प्रोषिवान्
 
७८६
 
स बिषेष प्रचुक्षोद
 
७४५ । समयं परिहरमाणो●
 
७७०
 
स भवान् भ्रातृ •
 
८५१
 
स भस्मसाञ्चकार
 
१२४४ ।
 
समक्षुभ्रन्नुदन्वन्तः...
 
४६९ । समक्ष्णुवत शस्त्राणि
४९१ समगत कपिसैन्यम्
५६९ समगध्वम्
 
६८७ । समतां शशि
 
४४० । समनत्सीत्ततः
११८६ समपत्स्यत राजेन्द्र...
२८३ स महाफणि●
 
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१२३४ । समधत्तासुरम्
३५४ समाविष्टम् .
१२१५ समाश्वसिमि केनाहम्
७२२ । समिद्धशरणा
 
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***
 
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श्लोकाङ्काः.
 
३८५
 
३३५
 
४७२
 

 
९६२
 
१२४५
 
२८७
 
२४७
 
३००
 
११७७
 
११९९
 
९८५
 
९७२
 
९६१
 
१३३३
 
१२०५
 
१२७९
 
१०९
 
११५५
 
१०२३
 
१५२१
 
११५३
 
१४५४
 
१४०१
 
१३०४
 
५३५
 
८४९
 
१२९२
 
१५७४
 
१०५६
 
३४३२
 
३७४
 
१४६८.
 
८१७