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श्लोकाः
 
राक्षसान्बटु०
राक्षसेन्द्रस्ततो●
 
राक्षसेन्द्रस्य...
राक्षसोऽतर्जयत्
 
राक्षस्यः प्रारुदन्
राघवं पर्ण ....
 
राघवस्य ततः
 
राघवस्य मतेनाथ
 
रामस्य दयमानः
 
रामस्य शयितम्
रामादधीत●
 
रामोऽपि दारा०
 
रामोऽपि हत०
 
रामोऽवोचत्
 
रावणः शुश्रुवान्
 
राघवस्याभृशायन्त
 
राघवस्यामुषः
राघवाभ्यां शिवम् .
राघवो न दयांचक्रे...
राजितं गारुडै
राममुच्चैर्
रामसंघुषितम्
 
रावणबलम्...
रावणस्य नमन्ति
रावणस्येह
रावणाङ्कपरिश्लिष्टा
 
...
 
रावणाय नमस्
रिणचिम जलधे:
 
रुचिरोन्नत •
 
रुदतोऽशिश्रियत्
 
रुरुजुर्भेजिरे...
 
रोचमानः
 
रोदिति स्मेव...
 
रोदिम्यनाथम्
रोषभीम •
 
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१९
 
श्लोकाङ्काः. श्लोकाः
 
२६८
 
ल.
 
११८२ । लक्षे द्वे च पदातीनाम्
६७१ लक्ष्मणं सा...
 
१४४९ लक्ष्मणाचक्ष्व
१४१७ लक्ष्मीः पुंयोगम्
१६२ लङ्कां नम्रा
४६२ लङ्कालये तुमुल
१५६५ लज्जानता
१४३९ लतानुपातम्...
११९७ लब्धां ततो.
६७२ लभ्यां कथं नु
१११० ललुः खड्डान्
१४५७ लवण जलबन्ध●
४१६ लाङ्गूलमुद्धतम्
२३८ लाङ्गूलैटयां •
६६१ लेढि भेषजवत्
६६७ । लोकानशिशिपोः
६१४ लोभाद्भयाद्वा
९७१ । लोलं कूलाभिगमे
२९६ लोहबन्धेर्बबन्धे नु..
 

 
३८७
 
व.
 
१०९० वक्षः स्तनाभ्याम्
१०६८ वचनं रक्षसाम्
 
१४९७ । वज्रमुष्टेर्विशिश्लेष
६६२ । वज्राभिघातैर्
१५५२ वञ्चित्वापि
 
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६४० वणिक् प्रग्राह
३२७ वधेन संख्ये...
८४२ । वनतापसके ..
३१० । वनस्पतीनां सरसाम्
११४६ । वनानि तोय
६१५ । वनान्तप्रेङ्खणः
७२८ । वनेषु वासतेयेषु
१४८८ वपुश्चान्दनिकम्
७८२ । वयमद्यैव
 
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लोकाङ्काः.
 
१४१४
 
१६८
 
३११
 
२००
 
५२८
 
१०५०
 
१५५०
 
३८
 
७५७
 
३३८
 
११६०
 
१०६२
 
६८०
 
१०९४
 
१४६५
 
७२७
 
९७९
 
१०४८
 
११२४
 
८९५
 
६२७
 
११०२
 
९८९
 
५४०
 
४८३
 
८३
 
२२६
 
२८
 
३२
 
७७९
 
१४६
 
१६३
 
४६३