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श्लोकाः
 
चकाराधस्..
चकासांचक्रुः
चक्रन्दुरुचे •
चक्काणाऽशङ्कितो
चक्षूंषि कान्तान्यपि
चञ्चलतरुहरिण●
 
चञ्चूर्यन्तेऽमितो
 
चतुष्काटम् ..
चन्दनद्रुमसंच्छन्ना
 
चन्ति बाल
चलकिसलय •
 
चलपिङ्गल....
 
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चापल्ययुक्तस्य
चारुकलहंस •
चारुसमीरणरमणे
 
चिरकालोषिताम्
चिरं क्लिशित्वा
 
चिरेणाऽनुगुणम्
चुकोपेन्द्रजित्
चुक्रुधे तत्र
चेतसस्त्वयि...
 
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चिकीर्पिते पूर्व •
 
चिचेत रामस
 
चितां कुरु च
 
चित्रं चित्रम्
 
चिन्तयन्नित्थम्
चिन्तावन्तः कथम् ...
चिरं रुदित्वा
 
छलेन दयिता
छिन्नान्नैक्षन्त
 
जक्षिमोऽनपराघे
जगन्ति धत्व
 
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छ.
 
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श्लोकाः
 
जगन्त्यमे याद्भुत •
७३९ । जगर्जुर्जहृपुः
 
१०८७ जगाद वानरात्
 
११० जगाहिरेऽम्बुधिम्
११५७ जग्मुः प्रसादम्
९०८ जग्लौ दथ्यौ
१०२४ । जटायुः पुण्यकृत्
१४८३ जनानुरागेण
७३५ जरित्वेव
 
श्लोकाङ्काः
 
१५९४
 
जलकामदन्ति
 
१३२४ जवतीरतुङ्ग •
 
१०५७
 
३८९
 
१४११
 

 
डुढौकिरे पुनर्
 
जलद इव
 
८३६ जलनिधिमगमत्
९५१ जले विक्रम
१०४२ जल्पाकीभिः
१०१९ । जल्पितोत्कुष्ट •
९३७ । जहसे च क्षणम्
११३० । जहीहि शोकम्
१५६४ जिगमिषया संयुक्तम्
७३१ । जिज्ञासोः शक्तिम्...
६०१ । जिते नृपारौ
५०६ । जूतिमिच्छथ
१३२ जेता यज्ञ०
२२५ जेतुं न शक्यो•
२३५ । ज्ञात्वेङ्गितैर्
६३७ ज्ञायिष्यन्ते मया
१११२ ।ज्योतिष्कुर्वन्
११७५ ज्योत्स्नाऽमृतम्
१५५८
 
तं यान्तं दुद्रुवुर्
तं यायजूका:
 
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१७७ । तं रत्नदायम्
१५६१ । तं विप्रदर्शम्
 
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श्लोकाङ्काः
 
९५६
 
१०७५
 
५२५
 
११३५
 
६४
 
११२८
 
५१५
 
९५९
 
७१४
 
१०६०
 
१०६७
 
९३१
 
८६१
 
५६६
 
४५३
 
५७१
 
११६१
 
१५४०
 
१०३३
 
४०७
 
८१
 
५०३
 
१६५
 
९८
 
१३४५
 
७३७
 
६०४
 
११३९
 
११६५
 
४७
 
८४२
 
५०