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भल्लटशतकम्
 
२६
 
किं दीर्घदीर्घेषु गुगेषु पद्म सितेष्ववच्छादनकारणं ते ।
अस्त्येव तान् पश्यति चेदनार्या त्रस्तेव लक्ष्मीर्न पदं विधत्ते ॥२५॥
 
(है) पद्म ! दीर्घदीर्घेषु सितेषु गुणेषु ते अवच्छादनकारणं किम् ?
(कारणम्) अस्त्येव चेत् अनार्या लक्ष्मीः तान् पश्यति (तदा) त्रस्ता इव
पदं न विधत्ते ।
 
महेश्वरेण एष श्लोको न व्याख्यातः अस्मदीया संस्कृतटीका - निर्गुण-
जना गुणिनो न कामयन्त इत्याह – कि दीर्घदीर्घेष्विति दीर्घदीर्घेषु गुणेषु
अतिविस्तृतेषु तन्तुषु अन्यत्र महत्सु दयादाक्षिण्यादिसद्गुणेषु सितेषु श्वेतवर्ण-
वत्सु अन्यत्र शलाघ्येषु अवच्छादनकारणं गोपनप्रयोजनम् । अनार्या दुष्टा
दुश्शीला वा लक्ष्मीः श्रीः पदं न विधत्तं न तत्र आगच्छेत् ।
 
(हे) कमल ! श्वेत और लम्बे-लम्बे तन्तुओं को तुम्हारे द्वारा छिपाकर रखने
में क्या कारण है ? (हेतु तो) है ही । (क्योंकि) यदि दुश्चरित्र लक्ष्मी इन्हें देख
ले तो शायद डर के मारे यहाँ कदम न रखे ।
 
यहाँ 'गुणेषु' पद में श्लेष है। कमल पक्ष में गुण का अर्थ तन्तु है । कमल
दण्ड के अन्दर लम्बे-लम्बे तन्तु होते हैं । इन तन्तुओं को कमलनाल में छिपाकर
रखने की उत्प्रेक्षा की गई है। इसमें गुण रूपी तन्तुओं को छिपाकर रखने का
कारण यह बताया है कि लक्ष्मी गुणी जनों के सम्पर्क को पसन्द नहीं करती
वह गुणहीनों में रहना चाहती है । यह कमललक्ष्मी भाग न जाये इसलिए
कमल ने अपने भीतर छिपे हुए गुणयुक्त तन्तुओं को नहीं प्रकट किया। यहाँ
गुणों को गोपन करने रूप आहेतु में हेतु की उत्प्रेक्षा होने से हेतुत्प्रेक्षा है।
यहाँ प्रस्तुत वाच्य पद्मलक्ष्मीवृत्तान्त से अप्रस्तुत व्यङ्ग्य गुणिजनों को न पसन्द
करने वाली और दुराचारी व्यक्तियों में अनुराग रखने वाली चञ्चल लक्ष्मी के
वृत्तान्त की प्रतीति होने से प्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कार भी है ।
 
O lotus! what is the cause of concealment of your long
white filaments ? There is surely a reason, I suppose. If ignoble
Lakṣmi looks at them, she, like a frightened woman, will not
dare step down here.
 
1. क, म, ह; कारणेषु अ
 
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri