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सम्पादकीय
 
दिल पर कैसी करारी चोट करने वाला प्रयोग है ? जंगल की किस्मत
की बागडोर होठों पर चाशनियों से भरे तराने और दिल में जुल्म की छुरियाँ
लिये शिकारी के हाथ में जा पड़ी है ? चहकते पक्षियों, उछलते कूदते हरिणों
तथा अन्य पशुओं से भरा यह जंगल सुना हो जायेगा ।
 
अन्याय की आँधी में धूलि को आसमान पर चढ़ता देख कवि पवन को
उलाहना देते हुए कहता है-
- पवन ! यह तेरी कैसी चाल है जो लोगों के पैरों
से कुचले जाने योग्य धूलि को तेजस्वियों के उपभोगयोग्य प्रकाश में ले जा रहे
तो झोंक ही रहे हो,
हो ? इसे उठाते हुए तुम लोगों की आँखों में
न सही
 
पर
 
पर अपनी
हैं न सही पर अपन
 
लगा
 
है उसे कैसे
 
उसकी परवाह
हटाओगे ?
 
कोऽयं भ्रान्तिप्रकारस्तव पवन पदं लोकपादाहतानां
(3) तेजस्विव्रातसेव्ये नभसि नयसि यत्पांसुपूरं प्रतिष्ठाम् ।
अस्मिन्नुत्थाप्यमाने जननयनपथोपद्रवस्तावदास्ताम्
 
की है
 
केनोपायेन साध्यो वपुषि कलुषतादोष एष त्वयैव ॥
 
(भ०श०, ६५ )
 
किसी परोपकारी एवं मनस्वी व्यक्ति के प्रति समाज के अन्याय का चित्रण
पेड़ को कही इस अन्योक्ति द्वारा किया है। अरे भले वृक्ष ! तुम चौराहे पर
क्यों जन्मे ? इतनी अधिक घनी छाया क्यों बनाई ? फल क्यों लगाए ? फल-
युक्त होने पर विनम्र क्यों हुए ? अब अपने इन बुरे कर्मों का फल भोगो ।
लोग तुम्हारी
रीटहनियों को खीचें मरोड़े और तोड़ें—यह सब कष्ट सहते रहो।
 
कि जातोऽसि चतुष्पथे घनतरच्छायोऽसि कि छायया
 
युक्तश्चेत् फलितोऽसि किं फलभरैराठ्योऽपि कि सन्नतः ।
सवृक्ष सहस्व सम्प्रति सखे शाखाशिखाकर्षण-
क्षोभामोटनभञ्जनानि जनतः स्वैरेव दुश्चेष्टितैः ॥
( भ०श०, ३७ )
 
इन अन्योक्तियों में भल्लट का राजनीति सम्बन्धी दृष्टिकोण स्पष्ट
दिखाई देता है । वह शासक जिसके अपने मंत्रिमण्डल में भी फूट है और
बाहर से शत्रु का आतंक बना रहता है, ऐसे शासक के गुण जल्दी ही नष्ट हो
जाते हैं ।
 
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri