This page has not been fully proofread.

भल्लटशतकम्
 
लिया । यह तो उसके मुख से बहुत छोटी-सी (मूर्खता की) बात है । इससे
भी बड़ी मूर्खता की यह बात सुनो कि अंगुली के अगले भाग से धीरे से छू
लेने से उसके लुप्त होने पर (अर्थात् अंगुली में लगकर के ही उसके सूख जाने
के कारण) मेरा मुक्तामणि उड़कर कहाँ चला गया इस अान्तरिक शोक के
कारण प्रतिदिन सो नहीं पाता है ।
 
११०
 
यहाँ प्रस्तुत वाच्य जड व्यक्ति के वृत्तान्त से परप्रत्ययनेयबुद्धि अर्थात्
दूसरों की बात को बिना समझे ठीक मानकर चलने वाले प्रस्तुत मूर्ख
व्यक्तियों की व्यञ्जना से प्रतीति हो रही है अतः यहाँ प्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कार
है । जललव में मुक्तामणि की भ्रान्ति होने से यहाँ भ्रान्तिमान् अलङ्कार भी
 
It is a small matter (of foolishness) that this fool regarded
the dew drop on the lotus leaf as a ruby jewel. Greater foolish-
ness is this that at the disappearance of the dew drop with a
mere touch of the fore part of his finger, he is filled with grief
and cannot sleep every day thinking, "where has my ruby
vanished away ?"
 
आस्तेऽत्रैव सरस्यहो बत कियान् सन्तोषपक्षग्रहो
हंसस्यास्य मनाङ् न धावति मनः श्रीधाम्नि पद्मे क्वचित् ।
सुप्तोऽद्यापि न बुध्यते तदितरां स्तावत्प्रतीक्षामहे ।
वेलामित्युदरम्प्रिया मधुलिहः सोढुं क्षरणं न क्षमाः ॥१२॥
 
(सौ) अत्र सरसि एव प्रास्ते । बत ! कियान् सन्तोषपक्षग्रहः !
अस्य हंसस्य मनः क्वचित् श्रीधाम्नि पद्मे मनाक् न धावति ( किन्तु )
सुप्तः अद्य अपि न बुध्यते तत् तावत् इतरान् प्रतीक्षामहे इति (विचार्य )
उदरम्प्रिया: मधुलिहः क्षरगं वेलां सोढुं न क्षमाः ( सन्ति ) ।
 
निस्पृहः न समीपस्थमपि दातारं सेवते लुब्धस्तु दूरादागत्यापि सेवत
इत्याह - प्रास्तेऽत्रैवेति । स प्रसिद्धो हंसो मरालः । अत्रैव सरसि कासारे प्रास्ते
 
-
 
1. म; मतिः अ; म, ह, म
 
2. अ, क, ह; पुष्पे म
 
3. संशोधित; तदितरस् क, म, हु, तदितरं अ
 
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri