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भल्लट शतकेम्
 
बाह्यजातीयकृतादपि भयादाभ्यन्तरं स्वजातीयकृतं भयं बलवदित्याह-
अनीर्ष्या श्रोतार इति । हे श्रोतारः कर्णयितारः जनाः । मम वचसि मद्वाक्ये
अनी अनसूया चेत् तर्ह्यहं वच्मि वक्ष्यामि । वर्तमानसामीप्ये वर्तमानवद्वेति
भविष्यदर्थे लट् । कि तदित्यत आह - सपक्षात् सजातीयजनसकाशात् भेतव्यम्
उद्विजितव्यम् । जिभी भय इत्यस्मात्तव्य प्रत्ययः । प्रवलायमानाद्विपक्षाद्
विजातीयाच्छत्रुजनाद् बहु मूयिष्ठं न भेतव्यम् । तदेवोपपादयति । एते गगनतल-
वर्तिनः, तेजोऽवयविनः नक्षत्रादयः । तमस्यन्धकारे प्राक्रान्ताशे' व्याप्त सकलदिशे
सति स्वशक्त्या स्वतेजसोऽनुगुणत्वेन कियदपि स्वल्पमपि भान्ति प्रकाशन्ते । पुनर-
नन्तरं दिवसकृति सूर्ये सति अभ्युदिते न भान्ति न प्रकाशन्ते । तस्मात् परकी-
याद् भयादपि स्वकीयभयं बलवदिति भावः । तत्र तमः सूर्ययोः सन्निधाने
नक्षत्राणां प्रकाशाख्येन सामान्येनार्थेन शत्रुजनादप्यात्मीयजनस्य दुःसहतेजोहा-
निहेतुत्वकथनाख्यस्य विशेषस्य समर्थनात् सामान्येन विशेषसमर्थनरूपोऽर्था-
न्तरन्यासोऽलङ्कारः । तदुक्तम् – सामान्य विशेषभावेन कार्यकाररणभाव एव
निदिष्टप्रकृतसमर्थनमर्थान्तरन्यास इति ।
 
हे श्रोतागण ! यदि मेरे वचन के विषय में (आप लोगों का ) विद्वेषभाव
नहीं है अर्थात् मेरी बात से यदि आप लोग बुरा न मनायें तो मैं ( अपनी )
बात कहता हूँ । अपने पक्ष ( के लोगों) से (ही) डरना चाहिए न कि प्रभाव-
शाली दूसरे पक्ष के लोगों) से बहुत ( डरना चाहिए ) क्योंकि अन्धकार के
दिशाओं में भर जाने पर ये तेज के पुञ्ज नक्षत्रादि अपने सामर्थ्य के अनुसार
थोड़े-बहुत भी चमक लेते हैं न कि फिर सूर्य के आने पर ( उतना भी) चमक
पाते हैं ।
 
यहाँ अपने पक्ष से डरना चाहिए न कि विपक्ष से - इस सामान्य वचन
का – नक्षत्रादि अन्धकार में तो चमक लेते है परन्तु सजातीय सूर्य के होते हुए
नहीं चमकते —– इस विशेष वचन से समर्थन किया गया है अतः यहाँ अर्थान्तर-
न्यास अलङ्कार है। प्रस्तुत वाच्य सूर्य नक्षत्र वृत्तान्त से प्रस्तुत व्यङ्ग्य
सजातीय भयदायक बन्धुओं के वृत्तान्त की प्रतीति होने से यहाँ प्रस्तुत प्रशंसा
अलङ्कार भी है ।
 
O listeners ! if you do not mind my words, I may say that one
should be afraid of one's own people and need not be afraid
of others. The stars glitter as much as they can, when the
 
5. ह; आक्रान्त दिशे म
 
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri
 
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