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भल्ल टशतकम्
 
होने वाली उस आम्रवृक्षपंक्ति को काट चुके हो वह ( तुम्हारा कर्म) ठीक है ।
(इससे) दूसरे पेड़ का नाम भी समाप्त हो गया है और (का) वह नाम
( प्रसिद्ध होकर ) प्रकट हो गया है। (और फिर अपने रास्ते पर चलने में भटकने
वाले विधाता का हाथ भी ( उसे ठीक चलाने के लिए) रोक लिया है (ब्रह्मा
भी तुम्हें किसी प्रकार की सत्प्रेरणा नहीं दे पाया है)। और यह संसार अप्रिय
(आपत्ति) के देखने से उत्पन्न नयन संकट से बचा लिया गया है ।
 
यहाँ विपरीतलक्षणा से तुमने अच्छा काम किया कहकर लकड़हारे के बुरे
काम को बताकर अपकारातिशय की अभिव्यञ्जना की गई है । प्रस्तुत वाच्य
वृक्ष और लकड़हारे के वृत्तान्त से प्रस्तुत व्यङ्ग्य परोपकारी लोगों को सताने
वाले धनात्मज्ञ, मूर्ख एवं दुष्ट व्यक्ति के वृत्तान्त की प्रतीति होने से यहाँ
अप्रस्तुतप्रशंसा भी है ।
 
O woodcutter! in cutting down the mango grove which
flowered out of season, you have thrown into oblivion the very
name of all other trees while you have raised to prominence the
name of this (grove). Again, you have restrained the hands (i.e.
actions) of the creator who had gone astray in his ways (by
making the mango blossom out of season). Moreover, you have
saved the world from the unsightly spectre of witnessing an evil
portent (the flowering of trees out of season). Indeed you have
performed a welcome feat !
 
वाताहारतया जगदु विषधरैराश्वास्य' निःशेषितं
 
ते ग्रस्ताः पुनरभ्रतोयकरिणकातीव्रव्रत बहिभिः ।
तेऽपि क्रूरचमूरुचर्मवसनै नीताः क्षयं लुब्धक
 
र्दम्भस्य स्फुरितं विदन्नपि जनो जाल्मो गुरगानीहते ॥८४॥
 
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वाताहारतया विषधरैः जगत् आश्वास्य निःशेषितम् । ते पुनः अभ्र-
तोयकणिकातीव्रव्रतैः, बहिभि: ग्रस्ताः । ते अपि क्रूरचमूरुचर्मवसनैः
लुब्धकैः क्षयं नीताः । इत्थं दम्भस्य स्फुरितं विदन् अपि जाल्मो जनः
गुरणान् ईहते ।
 
1. क; राश्वास्यं म1, म2, ह; रास्वाद्य अ
 
2. ध, म, म±, ह; तेऽप्यक्रूर क
 
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