2023-02-27 22:42:05 by ambuda-bot
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कृतज्ञता ज्ञापन
जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० मनसाराम पुरी के प्रति हम हार्दिक
आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने इस पुस्तक का प्राक्कथन लिखकर हमें
उत्साहित किया है ।
श्री एस० भास्करन नायर, डाइरेक्टर, विश्वेश्वरानन्द विश्वबन्धु वैदिक
शोध संस्थान, होशियारपुर ने भल्लटशतक के मलयालम लिपि में लिखे
हस्तलेख को उपलब्ध करा कर तथा पढ़ कर हमारी सहायता की है, एतदर्थ
हम उनका हृदय से धन्यवाद करते हैं। जम्मू विश्वविद्यालय के केन्द्रीय
पुस्तकालय, मद्रास की गवर्नमेन्ट ओरियण्टल मैन्युस्क्रिप्ट्स लाइब्रेरी तथा
अडियर की अडियर लाइब्रेरी के अधिकारियों को हस्तलेख प्रदान करने के
लिए धन्यवाद देते हैं। इस पुस्तक की प्रैस कापी तैयार करने में हमारे शिष्य
डा० केदारनाथ, डा० भारतभूषण तथा श्री प्रशान्तकुमार आचार्य का
सराहनीय योगदान रहा है । वे हमारे आशीर्वाद के पात्र हैं ।
इस ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कराने तथा अन्य
प्रकार का सहयोग देने के लिए जम्मू विश्वविद्यालय के कुलसचिव,
श्री केवलकृष्ण गुप्ता तथा सहायक कुलसचिव, श्री वाचस्पति शर्मा के प्रति भी
हम अपना आभार प्रकट करते हैं। इसकी छपाई तथा साजसज्जा में मैसर्स
मेहरचन्द लछमनदास पब्लिकेशन्स के अधिपति श्री सुदर्शनकुमार ने विशेष
परिश्रम किया है । इसके लिए हम उनके कृतज्ञ हैं ।
जम्मू तवी
१६ नवम्बर, १९८४
वेदकुमारी घई
रामप्रताप
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri
जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० मनसाराम पुरी के प्रति हम हार्दिक
आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने इस पुस्तक का प्राक्कथन लिखकर हमें
उत्साहित किया है ।
श्री एस० भास्करन नायर, डाइरेक्टर, विश्वेश्वरानन्द विश्वबन्धु वैदिक
शोध संस्थान, होशियारपुर ने भल्लटशतक के मलयालम लिपि में लिखे
हस्तलेख को उपलब्ध करा कर तथा पढ़ कर हमारी सहायता की है, एतदर्थ
हम उनका हृदय से धन्यवाद करते हैं। जम्मू विश्वविद्यालय के केन्द्रीय
पुस्तकालय, मद्रास की गवर्नमेन्ट ओरियण्टल मैन्युस्क्रिप्ट्स लाइब्रेरी तथा
अडियर की अडियर लाइब्रेरी के अधिकारियों को हस्तलेख प्रदान करने के
लिए धन्यवाद देते हैं। इस पुस्तक की प्रैस कापी तैयार करने में हमारे शिष्य
डा० केदारनाथ, डा० भारतभूषण तथा श्री प्रशान्तकुमार आचार्य का
सराहनीय योगदान रहा है । वे हमारे आशीर्वाद के पात्र हैं ।
इस ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कराने तथा अन्य
प्रकार का सहयोग देने के लिए जम्मू विश्वविद्यालय के कुलसचिव,
श्री केवलकृष्ण गुप्ता तथा सहायक कुलसचिव, श्री वाचस्पति शर्मा के प्रति भी
हम अपना आभार प्रकट करते हैं। इसकी छपाई तथा साजसज्जा में मैसर्स
मेहरचन्द लछमनदास पब्लिकेशन्स के अधिपति श्री सुदर्शनकुमार ने विशेष
परिश्रम किया है । इसके लिए हम उनके कृतज्ञ हैं ।
जम्मू तवी
१६ नवम्बर, १९८४
वेदकुमारी घई
रामप्रताप
CC-0 Shashi Shekhar Toshkhani Collection. Digitized by eGangotri