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भल्लटशतकम्
 
तरवः फलभारनम्रशिरसः फलानां भारेण गौरवेण नम्रशिरसः अवनताग्राः ।
अन्तत एव रम्या मनोहरा चूतद्रुमाः किम् नैवेत्यर्थः । सच्छायाः छायायुक्ताः
उष्णच्छिदः सन्तापहारिणः । कदलीद्रुमाः कि रम्भातरवः किमित्यर्थः ।
कदलीवारणबुसा रम्भामोचांशुमत्फला इत्यमरः । अथवा पुष्पिताः सञ्जातपुष्पाः ।
अतएव सुरभय: सौरभ्यवन्तः । चम्पका हेमपुष्पवृक्षाः । किमित्यत्र काकुः । पुनः
किन्तु निरवग्रहोग्रकरभोल्लीढप्ररूढाः । निरवग्रहाः निष्प्रतिबन्धाः अतएव
उग्रास्तीक्ष्णवृत्तयः ये करभा उष्ट्रा: तैर्लोढा भक्षिताः ततोऽर्घरूढा अङ्कुरिताः ।
अर्धपल्लवास्ताः एताः परिदृश्यमानाः शम्यः शमीतरवः । तस्मान्निर्मरुति वायु-
सञ्चाररहिते मरी निर्जलस्थले मिथ्यैव वृथा मतुं देहमोक्षायैव कि किमर्थं
भ्राम्यसि सञ्चरसि ? मरुसञ्चारस्य मरणमेव फलं स्यादित्यर्थः । अलाभे देशे
वर्तमान: पुरुषो मूढ इति भावः ।
 

 
क्या यहाँ फलों के भार से झुके अग्रभाग वाले सुन्दर श्रम के पेड़ है ?
क्या यहाँ गरमी को दूर करने वाले घनी छाया वाले केले के पेड़ हैं ? क्या यहाँ
सुगन्धित खिले हुए चम्पक हैं ? ( इनमें से यहाँ कोई भी चीज़ नहीं है) ये तो
वही स्वच्छन्द उद्दण्ड ऊंटों द्वारा चबाए आधे उठे हुए शमी के पेड़ हैं। अरे
मूर्ख ! क्यों इस वायुरहित मरुस्थल में मरने को घूम रहे हो ?
 
यहाँ प्रस्तुत कदली चम्पक शमी वृक्षवृत्तान्त से अप्रस्तुत दानशील
व्यक्ति एवं कृपणवृत्तान्त की प्रतीति होने से अप्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कार है ।
 
O fool, why are you fruitlessly wandering to die in this
desert devoid of air? Are there mango trees bent with load of
fruits? Are there pretty banana trees having dense shades war-
ding off the heat? Are there fragrant blossoms of campaka
trees ? (All these are not to be found here). There are half
grown śami trees only chewed by unfettered camels.
 
आजन्मनः कुशलम ण्वपि रे कुजन्मन्
 
पांसो त्वया यदि कृतं वद तत् त्वमेव ।
उत्थापितोऽस्यन लसारथिना यदथं
 
दुष्टेन' तत्कुरु कलङ्कय विश्वमेतत् ॥५५॥
 
1.
 
अ, क, म; मध्यणु ह
 
2.
 
अ, क, ह; ह्यनल म
 
3. ह; तुष्टेन अ, क, म
 
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