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५६
 
अनाहारे तुल्यः
अनेन परिहा०
 
IV. 6.
 
प्रछाद्य राजम०
 
अस्य स्निग्धस्य
 
VI. 13.
 
अहमवजितः
 
VI. 8.
 
प्रद्वेषो बहुमानो
बहुशोऽप्युपदे
 
स्वप्नवासवदत्
 
पद्यानां सूचिः ।
 
I. 14. पृथिव्यां राज ०
 
VI.
 
6.
 
VI. 15.
 
I. 7.
 
V. 6.
 
इमां सागर०
 
VI. 19.
 
भारतानां कुले
 
VI. 16.
 
इयं बाला नवोο
 
IV.
 
9.
 
भिन्नास्ते
 
v.
 
12.
 
उदयनवेन्दु ०
 
I.
 
1.
 
भृत्यैर्म गध०
 
I.
 
2.
 
उपेत्य नागेन्द्रतुरङ्ग
 
V. 13.
 
मधुमदकला
 
IV.
 
3.
 
ऋज्वायतां च वि०
 
IV.
 
2.
 
महासेनस्य दुहिता
 
VI.
 
II.
 
ऋज्वायतां हि
 
V. 3.
 
मिथ्योन्मादैश्व
 
VI. 18.
 
कस्यार्थः कलशेन
 
I.
 
8.
 
यदि तावदयं
 
v. 9.
 
कः कं शक्तो
 
VI.
 
10.
 
यदि विप्रस्य
 
VI.
 
14.
 
कातरा येऽप्यशक्ता
 
VI.
 
7.
 
योऽयं संत्रस्तया
 
V. 11.
 
कामेन । ज्जयिनीं
 
IV. 1.
 
रूपश्रिया समु०
 
V. 2.
 
कार्यं नैवाथैः
 
:
 
I.
 
9.
 
वाक्यमेतत् प्रियतरं
 
VI. 12.
 
किं वक्ष्यतीति हृदयं
 
VI.
 
4.
 
विस्रब्धं
 
I.
 
12.
 
किं नु सत्यमिदं
 
VI.
 
17.
 
शय्या नावनता
 
V.
 
4.
 
खगा वासोपेताः
 
I. 16.
 
शय्यायामवसुतं
 
V.
 
8.
 
गुणानां वा वि०
 
IV. 10.
 
शरच्छशाङ्कगौरेण
 
IV.
 
8.
 
चिरप्रसुप्तः कामो
 
VI.
 
3. श्रुतिसुखनिनदे
 
VI.
 
1.
 
तीर्थोदकानि
 
I. 6.
 
श्रोणिसमुद्वह०
 
VI.
 
2.
 
दुःखं त्यक्तुं
 
IV.
 
7.
 
लाध्यामवन्तिनृपतेः
 
V.
 
1.
 
धीरस्याश्रमसं०
 
I.
 
3.
 
षोडशान्तः पुर०
 
VI. 9.
 
निष्क्रामन् संभ्र०
 
V. 7.
 
संबन्धिराज्यं
 
VI.
 
5.
 
नैवेदानीं तादृशा
 
I. 13.
 
सविश्रमो ह्ययं
 
I.
 
15.
 
पद्मावती नर०
 
I. 11.
 
पद्मावती बहु०
परिहरतु भवान्
पूर्वं श्वयाष्यभि०
 
IV. 5.
 
I. 5.
 
सुखमर्थो भवेद्
स्मराम्यवन्स्याधि०
 
I.
 
10.
 
V.
 
5.
 
I.
 
4.
 
स्वप्नस्यान्ते
 
V. 10.