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आक्षिप्तलाङ्गल
आदीप्तानल
उद्यत्प्राञ्जलयः
उपलविषमा
एकाग्रांगुलि
एतद्रणाहत
 
I. 32
 
I.
 
34
 
I. 58
 
I. 5
 
ऊरुभङ्गम्
 
श्लोकानुक्रमणिका ।
 
मम रिपुबल
मालासंवृत
माल्यैर्ध्वजाग्र
मालीनिपात
 
५०९
 
I. 27
 
I.
 
25
 
I. 9
 
I. 59
 
I. 21
 
यः काञ्चन
 
I.
 
45
 
I.
 
3
 
यत्कृष्टाकर
 
I.
 
63
 
एते परस्पर
 
I.
 
7
 
यस्य वीर्यबलो
 
I.
 
46
 
एषा निरस्त
 
I.
 
12
 
या पुत्रपौत्र
 
I. 40
 
करिवरकर
 
1.
 
6
 
याम्येष सज्जन
 
I.
 
66
 
किं मेघा निनंदन्ति
 
I.
 
15 युद्धोद्यतं गरुड
 
I.
 
60
 
गतं धात्र्युत्स
 
I. 61
 
येनेन्द्रस्य
 
I.
 
35
 
गृधा मधूक
 
I.
 
11
 
रिपुममरविमर्द
 
I.
 
39
 
चलविलुलित
 
I. 26
 
रुधिरमरितो
 
I.
 
10
 
छलबलदलितो
 
I. 57
 
वञ्चनानिहतं
 
I.
 
37
 
त्यक्त्वा परिचित
 
I. 44
 
वीर्याकरः सुत
 
I.
 
36
 
त्वत्पादमात्र
 
I. 47
 
वीर्यालयों विविध
 
I.
 
22
 
त्वत्पादयोः
 
I. 31
 
दुःखानां
 
I. 42
 
वृद्धस्य मे
 
I. 48
 
वेदोक्तैर्विविधैः
 
1. 52
 
दुर्योधन
 
I. 49
 
वैरस्यायतनं
 
1. 4
 
दुर्योधने
 
I. 55
 
नमस्कृत्य वदामि
 
I. 50
 
शिरसि गुरु
शिष्टोत्कंपन
 
I.
 
20
 
I.
 
17
 
निर्भिन्नाग्र
 
I. 18
 
श्रीमान् संयुग
 
I.
 
29
 
पितृविक्रम
 
I. 65
 
श्लाघ्यश्रीः
 
I.
 
53
 
पूर्वं न जानामि
 
I. 38
 
प्रतिज्ञावसिते
 
संयुगे पाण्डु
 
I. 62
 
I. 33
 
संहृत्य भ्रुकुटी
 
I. 23
 
प्रसक्तनाराच
 
I. 8
 
भवता चात्मना
 
I. 64
 
सुनाहदुदुभि
 
I. 54
 
भिन्ना मे भृकुटी
 
सौभोच्छिर
 
I. 28
 
I. 51
 
भीमस्योरसि
 
स्पृष्ट्वा खाण्डव
 
I.
 
14
 
I. 16
 
भीमां गढ़ां
भीमेन भित्वा
भीष्मद्रोणतटां
भूमौ पाणितले
 
स्फुटितकमल
 
I. 56
 
I. 19
 
I. 13
 
I. 30
 
स्वर्गार्थमाहव
 
I. 2
 
I.
 
1
 
I. 24
 
हृतं मे भीम
हृदयप्रीति
 
I.
 
41
 
I. 43
 
२१