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अत्युग्रदीप्ति
अनेकयज्ञाहुति
अन्योन्यशस्त्र
 
I. 4
 
I. 23
 
I. 6
 
अयं स कालः
इमे हि दैन्येन
इहयुद्धे
 
I. 8
 
I.
 
11
 
I. 13
 
शिक्षा क्षयं गच्छति
 
करितुरगरथ
 
I. 3
 
श्रीमानेव न
 
कृत्ते वज्रमुखेन
 
I. 10
 
संग्रामे तुमुले
 
गुणवदमृत
 
I. 18
 
धर्मो हि यत्नैः
नरमृगपति
 
समरमुखमसह्यं
 
I.
 
17
 
I.
 
1
 
सर्वत्र संपदः
 
पूर्व कुन्त्यां
 
I.
 
7
 
हतोऽपि लभते
 
कर्णभारम्
 
श्लोकानुक्रमणिका ।
 
1. 21
 
मदसरितकपोलं
 
मा तावन्मम
 
यातः कृतार्थ
रवितुरगसमान
विद्युल्लता
शंखध्वनि: प्रलय
 
I.
 
४८७
 
I. 20
 
25622±252±52
 
I. 16
I. 19
 
I.
 
9
 
I. 24
 
I. 22
 
I. 15
 
I.
 
I. 14
 
I. 25
 
I. 12
 
११