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दूतवाक्ये
श्लोकानुक्रमणिका ।
४५७
अक्षान् क्षिपन्
I. 12
raiseमेव
I. 11
अनुभूतं महद्
I. 20
पाद: पायात्
I. 1
अवध्यां
प्रमदां
1. 36
पुण्यसंचय
I. 25
अव्यक्तादि
I. 43
पूर्णेन्दुकुन्द
I. 49
अहमवधृत
I. 37
प्रमाद्यमानः
I. 31
आवासाः पार्थिवानाम्
I. 15
प्रहरति यदि
I. 35
इमां सागर
1. 56
प्राप्तः किलाद्य
I. 13
उत्पन्ने धार्तराष्ट्राणाम्
उत्साहेन मतिम्
I. 2
मणिकनक
I. 48
I.
17 मत्कार्मुकोदर
I. 41
उद्धृतरोप
I. 4
मम पुत्रापराधात्
I. 55
एते xxx
I. 54
महीभारापनयनम्
I. 46
एवं परस्पर
I. 23
यदि लवणजलम्
I. 45
करितुरगनिहन्ता
I. 39
राज्यं नाम
I. 24
कर्तव्यो भ्रातृषु
I. 29
रोषाकुलाक्षः
I. 9
किं मेरुमन्दर
I. 44
कृतपरिकरबन्ध
I. 10
कृत्वा पुत्रवियोगात
I. 27
वनिताविग्रहो
वने पितृव्यो
विचित्रवीयों
I. 50
I.
I.
कृष्णा पराभव
I. 14
शट बांधव
I. 38
कैरातं वपु
I. 32
श्यामो युवा
I.
ग्रहणमुप
I.
6
श्रुत्वा गिरं
I. 42
जामातृनाश
I. 28
सत्यधर्मघृणा
तनुमृदुल
I. 47 सुयोधनोऽयं
I.
I.
I. 34
दुःशासनपरा
दुष्टवादी गुण
देवाताजैर्मनुष्याणां
धर्मात्मजो
ननु त्वं चित्र
I. 19
I. 33 हे शार्ङ्गकौमोदक
I. 7
सुरासुराणां
सृजसि यदि
I.
I. 40
I.
16
सेना निनाद
I.
I. 30
मोऽयं खड्गः
स्यालं तव
I.
51
I.
26
I.
2233280×325-22
21
22
18
53
दू. २६
१७
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श्लोकानुक्रमणिका ।
४५७
अक्षान् क्षिपन्
I. 12
raiseमेव
I. 11
अनुभूतं महद्
I. 20
पाद: पायात्
I. 1
अवध्यां
प्रमदां
1. 36
पुण्यसंचय
I. 25
अव्यक्तादि
I. 43
पूर्णेन्दुकुन्द
I. 49
अहमवधृत
I. 37
प्रमाद्यमानः
I. 31
आवासाः पार्थिवानाम्
I. 15
प्रहरति यदि
I. 35
इमां सागर
1. 56
प्राप्तः किलाद्य
I. 13
उत्पन्ने धार्तराष्ट्राणाम्
उत्साहेन मतिम्
I. 2
मणिकनक
I. 48
I.
17 मत्कार्मुकोदर
I. 41
उद्धृतरोप
I. 4
मम पुत्रापराधात्
I. 55
एते xxx
I. 54
महीभारापनयनम्
I. 46
एवं परस्पर
I. 23
यदि लवणजलम्
I. 45
करितुरगनिहन्ता
I. 39
राज्यं नाम
I. 24
कर्तव्यो भ्रातृषु
I. 29
रोषाकुलाक्षः
I. 9
किं मेरुमन्दर
I. 44
कृतपरिकरबन्ध
I. 10
कृत्वा पुत्रवियोगात
I. 27
वनिताविग्रहो
वने पितृव्यो
विचित्रवीयों
I. 50
I.
I.
कृष्णा पराभव
I. 14
शट बांधव
I. 38
कैरातं वपु
I. 32
श्यामो युवा
I.
ग्रहणमुप
I.
6
श्रुत्वा गिरं
I. 42
जामातृनाश
I. 28
सत्यधर्मघृणा
तनुमृदुल
I. 47 सुयोधनोऽयं
I.
I.
I. 34
दुःशासनपरा
दुष्टवादी गुण
देवाताजैर्मनुष्याणां
धर्मात्मजो
ननु त्वं चित्र
I. 19
I. 33 हे शार्ङ्गकौमोदक
I. 7
सुरासुराणां
सृजसि यदि
I.
I. 40
I.
16
सेना निनाद
I.
I. 30
मोऽयं खड्गः
स्यालं तव
I.
51
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