2023-04-07 15:26:42 by Pathan Vali Khan
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................................. दिगङ्गनामुखे पत्राङ्गुलिरिव सकलोज्ज्वलवर्णशोभिनी
सन्निविष्टा श्रवणचामरमञ्जरीवाक्षीणदानसन्तानजनितसौरभसमृद्ध्या दक्षि-
.........................वोत्तमाङ्गनाहिता चक्रवर्तिक्षेत्रलक्ष्म्याः कामप्रसवोपदानक्षमा[^1]
कल्पद्रुमयष्टिरिगव जम्बूद्वीपनन्दनस्य हेमरलाचितप
...........कोशसञ्च .
................
सद लिनीपीतगन्धक्षमुद[^2]पुण्डरीकावदातगाढसलिलया सुरानैक वासा नवा सवस्सवत्या गिनी
तया मदमञ्जुलहंसगद्गदरवया
चेयमित्यवज्ञाय वस्बोवोकसाराकोश
1.
2.
.
3.
3
.......................... तया मदमञ्जुलहंसगद्गदरवया
युवतिजनक्षच[^3]क्षोद जनित वीचीवेगया वेगवत्या विरचितखास्वातकृत्या क्रोडीकृत्य
सर्वसरित्समुद्रद्वीपपठत्तनोत्पन्न
4
..........................................तुभूतमुत्सृज्य जलत्वं
स्वयमचलेभ्योऽपि स्थिरतरेणाबद्धपरिकरं स्थितेन शीतकालवदातसुधा[^4]]-
न्वितेन दुग्धजलधिनेव, कैलासशिख[र] मालाविडम्बिना प्राकारवलयेन
स (बैंर्वैश्व ) र्यग्रहग्रामं गगजाभोगमिव [ अग्रसमाना, दिग्गजैरिव दिगन्तस्थापि-
तैरम्बरसरिदम्बुधौत कुम्भमण्डलैश्चतुर्भि[]ग]र्गोपुरद्वारैरुपेता, गोपुरगुरुफ (ला? णा )
मण्डलस्फुरम्न्मणिस्त (म्ब ? ब ) करागरञ्जित वियद्विशालार्णवै
र्बहुगुण[ भागविस्तार-]
बावाहिमि[ भि[रनेकनागाङ्कन गनागमजनितर्द्धिमिःभिः प्रशस्ततक्षकादि ]ष ]घटितैर्मुभुजगरा जैरिव
मोभोगवतीमहापथैरुपशोभिता, मणिमयसमप्ग्रभूत[^5]लत्वादपरवियद्वितर्का[^6] ..........णै
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[^1]. The word may be उपादान.
[^2]. This may be read कुमुद
[^3]. Read कुच.
[^4]. The first folio in our manuscript is missing. The correspond -
ing
passage put in the double brackets is taken from the Avantisundarīi
kathā (A) edited by Sri. S. K. Ramanatha Sastri, Dakshinabharati
Series No. 3, 1924. Other passages taken from the same book to fill
up the lacuna are also put in double brackets.
[^5]. A ( Sri Sastri's edition ) reads भूमि and omits तलत्वात् to दिव्य, page 4.
[^6]. Lacuna [ L] about 6 letters.
सन्निविष्टा श्रवणचामरमञ्जरीवाक्षीणदानसन्तानजनितसौरभसमृद्ध्या दक्षि-
.........................वोत्तमाङ्गनाहिता चक्रवर्तिक्षेत्रलक्ष्म्याः कामप्रसवोपदानक्षमा[^1]
कल्पद्रुमयष्टिरि
सद
तया मदमञ्जुलहंसगद्गदरवया
चेयमित्यवज्ञाय वस्
1.
2.
.
3.
3
युवतिजनक्षच[^3]क्षोद
सर्वसरित्समुद्रद्वीप
4
स्वयमचलेभ्योऽपि स्थिरतरेणाबद्धपरिकरं स्थितेन शीतकालवदातसुधा[^4]]-
न्वितेन दुग्धजलधिनेव, कैलासशिख[र] मालाविडम्बिना प्राकारवलयेन
स
तैरम्बरसरिदम्बुधौत कुम्भमण्डलैश्चतुर्भि
मण्डलस्फुर
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[^1]. The word may be उपादान.
[^2]. This may be read कुमुद
[^3]. Read कुच.
[^4]. The first folio in our manuscript is missing. The correspond
passage put in the double brackets is taken from the Avantisundar
kathā (A) edited by Sri. S. K. Ramanatha Sastri, Dakshinabharati
Series No. 3, 1924. Other passages taken from the same book to fill
up the lacuna are also put in double brackets.
[^5]. A (
[^6]. Lacuna [