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राणि (?) । सोऽपि न केवलमाकृत्या सद्यः प्राणपांतनक्षमया कामाबस्थयापि
कप्प्रूलेमनुचकार । त ........ [^1] गाश्वेतापि परा ......... [^2] ज्यमा ...... [^3]
रतमपारयन्ती तिरयितुं हृदय ........ [^4] र्भामागविलासप्रत्युद्वतं तत्र
जालमिव चलं चाङ्ग ...... [^5] मन्दं मदलेखया सह जगाम । गत्वा चकि ...... [^6]
ख्यस्सन्दिश्य गुल्मान्तरितायामेव तस्यां दुर्व्यवसायिने हृदया ......[^7] नितम्बा
तु नाङ्गभङ्गं लेभे। दुर्निमित्तनिवर्तितेक्षणा पुरस्ता ...... [^8] कैतं दृष्ट्वा तथा-

तिथिवाता ....... [^9] ह कादम्बर्या सकलमव कस्या
 
............. [^10] रमुग्धमृगी। कुलमिव

त्रासोभ्रान्तदृष्टि तमेव गिरितटवनमभ्यधावदाक्रोशन्त रुदित विश्रमेवैनां चैत्ररथी
सशपथैः साञ्जलिभिरनुनयवचन सहस्रैरात्मत्यागहेतुं शशाक शंसयिमेवं

चाब्रवीत् ॥ ............................
 
॥ हरिः ॥
 
इत्याचार्य दण्डिना कृता अवन्तिसुन्दरी समाप्ता ।
॥ श्रीराम श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय ॥
 
ज्यमा
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[^
1, 2, 3, 4]. The four lacuna
e cover about 32 letters
.
[^5]. ,, 52 ,,
[^6]. ,, ,, ,,
[^
7]. L. about 48 letters.
[^8]. ,, 6 ,,
[^9]. ,, 8 ,,
[^8]. ,, 2 ,,