This page has been fully proofread once and needs a second look.

२१६
 
आचार्यदण्डिावरचिता
 
राणि (?) । सोऽपि न केवलमाकृत्या सद्यः प्राणपांतनक्षमया कामाबस्थयापि
 
1
 
1
 
9
 
काफ़्

कप्प्रू
लेमनुचकार । त...
 
........ [^1] गाश्वेतापि परा
 
......... [^2] ज्यमा ...... [^3]
रतमपारयन्ती तिरयितुं हृदय
 
9
 
5
 
1
........ [^4/
 
5.
6.
 
] र्भामागविलासप्रत्युद्वतं तत्र
जालनिमिव चलं चाङ्ग ...... [^5] मन्दं मदलेखया सह जगाम । गत्वा चकि
 
7
 
त्
...... [^6]
ख्
यस्सन्दिश्य गुल्मान्तरितायामेव तस्यां दुर्व्यवसायिने हृदया.... ......[^7] नितम्बा
 

तु नाङ्गभङ्गं लेगेभे। दुर्निमित्तनिवर्तितेक्षणा पुरस्ता
 
...... [^8] कैतं दृष्ट्वा तथा-
****
 

 
तिथिवा ह कादम्बर्या सकलमव कस्या
 
रमुग्धमृगी। कुलमिव
 
त्रासोभ्रान्तदृष्टि तमेव गिरितटवनमभ्यधावदाक्रोशन्त रुदित विश्रमेवैनां चैत्ररथी
सशपथैः साञ्जलिभिरनुनयवचन सहस्रैरात्मत्यागहेतुं शशाक शंसयिमेवं
 
चाब्रवीत् ॥
 
॥ हरिः ॥
 
इत्याचार्य दण्डिना कृता अवन्तिसुन्दरी समाप्ता ।
॥ श्रीराम श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय ॥
 
ज्यमा
-----------------------------------------------------------------------------------------
1, 2, 3, 4. The four lacuna

cover about 32 letters •
 
52
 
"}
 
भमागविलास प्रत्युद्वतं तत्र
 
8
 
तिथिवा ह कादम्बर्या सकलमव कस्या
 
रमुग्धमृगी। कुलमिव
 
त्रासोभ्रान्तदृष्टि तमेव गिरितटवनमभ्यधावदाक्रोशन्त रुदित विश्रमेवैनां चैत्ररथी
सशपथैः साञ्जलिभिरनुनयवचन सहस्रैरात्मत्यागहेतुं शशाक शंसयिमेवं
 
चाब्रवीत् ॥
 
()
 
9.
 
10.
 

 
॥ हरिः ॥
 
इत्याचार्य दण्डिना कृता अवन्तिसुन्दरी समाप्ता ।
॥ श्रीराम श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय ॥
 
ज्यमा
 
....
 
11
 

7. L. about 48 letters.
 
8.
 
6
 
"}
 
6
 
....
 
8
 
2
 
D