अवन्तिसुन्दरीकथा /280
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आचार्यदण्डिावरचिता
1
1
9
काफ़्
कप्प्रूलेमनुचकार । त
रतमपारयन्ती तिरयितुं हृदय
9
5
1
5.
6.
जाल
7
त्
ख्यस्सन्दिश्य गुल्मान्तरितायामेव तस्यां दुर्व्यवसायिने हृदया
तु नाङ्गभङ्गं ले
****
तिथिवा ह कादम्बर्या सकलमव कस्या
रमुग्धमृगी। कुलमिव
त्रासोभ्रान्तदृष्टि तमेव गिरितटवनमभ्यधावदाक्रोशन्त रुदित विश्रमेवैनां चैत्ररथी
सशपथैः साञ्जलिभिरनुनयवचन सहस्रैरात्मत्यागहेतुं शशाक शंसयिमेवं
चाब्रवीत् ॥
॥ हरिः ॥
इत्याचार्य दण्डिना कृता अवन्तिसुन्दरी समाप्ता ।
॥ श्रीराम श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय ॥
ज्यमा
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1, 2, 3, 4. The four lacuna
cover about 32 letters •
52
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भमागविलास प्रत्युद्वतं तत्र
8
तिथिवा ह कादम्बर्या सकलमव कस्या
रमुग्धमृगी। कुलमिव
त्रासोभ्रान्तदृष्टि तमेव गिरितटवनमभ्यधावदाक्रोशन्त रुदित विश्रमेवैनां चैत्ररथी
सशपथैः साञ्जलिभिरनुनयवचन सहस्रैरात्मत्यागहेतुं शशाक शंसयिमेवं
चाब्रवीत् ॥
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9.
10.
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॥ हरिः ॥
इत्याचार्य दण्डिना कृता अवन्तिसुन्दरी समाप्ता ।
॥ श्रीराम श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय श्रीराम राम जय ॥
ज्यमा
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7. L. about 48 letters.
8.
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6
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2
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