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आचार्यद्रविडविरचिता
 
नाथ सनाथीभवत्वयमिदानीमानाथ्य चारनिर्विष्णो जन इत्यञ्जलिमुकुळ-

तिद्वशं निर्वर्त्य स्वागतं महाभागाय त्वत्प्रसादादियमस्मा किंनोकि

पलबन्धशाली संवृत्तो मनोरथः । तदनुभवतु महाभागः
 

 
नाबैमचुलभो (!)
 

 
सम्भः ............त्य
 

 
:रदमृणधारयाभिभाष्य देवं राजवाहनं सह ताभ्यां

मेसरक कवेत्रहस्तकाञ्चुकीयहुङ्कारदू(रीकृत जनसं...........
 
5
 

तमेवानिव
 
6
 

न मणिमयेन वर्त्मना नगरमाविवेश । आससाद च विविधमङ्गलविधानव्य......
 

 
नाग' मङ्गणरणदत्चाङ्गतूर्याय माणगणतिथवार रणं गवनम् । तत्रच महति
 
8
 
9
 

 
बैदूर्यमण्डपे ससखीजनसम्भ्रा
 

 
योर्चासताम्बलच
 

 
पार-

दत्तवित्रम्भापरायोस्तयोः स्वयं च मन्त्रियद्धप्रपन्नहीन विष्टग (?) मपि
 

 
ध्यात्वा भूयो राजवाहन (चाहन?)मुखे निधाय ड रप्राणदक्ष मम बधान

दानमभ्यर्थयते त्वत्प्रसादं च वर्धितः प्रणयो यदिदमिन्द्रनीलमणिमय धरणीपृष्ठ-
२४२
 
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1. L. about 20 letters.
 
4
 
Aadiffer
 
20
 
8
 

 
मम्बरतलगोलमूलाभोगविभ्रमं समालक्ष्य
 

 
द्यतत्रिविक्रमचरणविक्षेपक्षभूतोऽर्थि(त?)जन)प्रणयाखण्डनप्रति(ज्ञो)
 
13.
 
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दानवेन्द्रम्तस्येदं पुरम् । अनु स्य मन्दाकिनी नाम दुहिता । हने पितरि

त्रिभुवन विजिगपुणा करूपादिम है। वर। इसम्पर्क गसम्भूतेन त्रिदशपतिसुन्दरीवृन्द
 
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7
 
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नामव (?) । यश्च स विक्रमो-

नमुचिर्नाम
 
.......
 
12.
 
13.
 

 
8. I. about 26 letters
 
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8
 
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8
 
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