अवन्तिसुन्दरीकथा /266
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प्रफटकण्ठमार्गनिर्बाधनिर्गमानां रक्षःकटिरुद्धदुष्कृतिहसिसहक्षत्रतिक्षोमक्षुभितानां
प्राणपञ्चमानां निष्पोतध्वनितेन, इस्तवससिकप्रपिण्ड पत्यासेपरोक्ष्य सन्धुक्षिता-
क्षुद्रक्षुषालुब्बानां ......... [^1] नमिव च न ........ [^2] लम्भिताध्वना रु(मि! दि) तथ्वाने-
नाप्राणिये रूप्यदानदर्पिता (नोभेनां नै) कशतवर्षानुवन्धिनां सन्ध्यस्थि कठोरकाषाय-
कुण्ड
भावतीनां छलफळञाकारदीप्तलोहपुत्रिकाणामुद्घाटित पूर्ववृत्तचित्र कन्दर्प चर्चरविस्ता
रेण प्रकटीकृतप्रणयकोपप्रसादनप्रकमेण मर्मच्छिदा कद बिना प्र
तसताम्रद्र वानुपातदीप्तायो गुलुक फलम क्षितो स्थितानां परमर्मस्पर्शदुर्भाषितपुरुष बहु-
माध्यमाविमो मोषाद्द्वारप्रकार कलतल्पवामपार्श्वशयन
सैकोहामधूमळसम्भारगर्भोच्यतेन दीर्घशूत्कृतेन वृकवराहसिंहव्याघ्रवर्मि (ह?) महिष-
कुरुको प्णिकावलुप्यमान सर्वावयवानां मृगवनविहारसिंहिका नामसोनार म्भितेन
वनदहन विसर्गशीलानाम् अनलजालगर्भाशयचिबृत्तिविष्फूर्जितरषेण चारतविविध-
चतुराणां वर्षसहस्रान्ध कारकुहरमास दुःखनिस्सहविसृष्टेन विपरतापनपण्डितानां
उलो सर्प सर्पहरितमझनाव जित
लिखया खजमथन गोरसचोरघोरारञ्जरकलकलेना सितालवनपत्रपात्रोत्कृत्यमान-
चैत्यच्छेदकाच्छिकृतेन धर्मकृततटाकनाशकनरशन भीमतैलिकय आन्ति-
चित्कृतेन
भशब्देन क्षुत्सन्धुक्षितप्रकाचि
शैवालजालजटिलपूगबीचीपूगवेग .............. [^4] भशब्देन क्षुत्सन्धुक्षितप्रकाचि-
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[^1]. L. about 20 letters.
[^2]. Space for 8 letters left blank.
[^3]. L. about 18 letters.
[^4]. ,, 6 ,,