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आचार्य दण्डिविरचिता
 
बानुभटशटार टितपटुतरेण पतन

कोलाहलेन, अल्लीकपाककर्कश जिलजिहोद्धरण-

प्रफटकण्ठमार्गनिर्बाधनिर्गमानां रक्षःकटिरुद्धदुष्कृतिहसिसहक्षत्रतिक्षोमक्षुभितानां
 
१३०
 

प्राणपञ्चमानां निष्पोतध्वनितेन, इस्तवससिकप्रपिण्ड पत्यासेपरोक्ष्य सन्धुक्षिता-
1
 

क्षुद्रक्षुषालुब्बानां नमिव च न . लम्भिताध्वना रु(मि! दि) तथ्वाने-

नाप्राणिये रूप्यदानदर्पिता (नोभेनां नै) कशतवर्षानुवन्धिनां सन्ध्यस्थि कठोरकाषाय-
8
 
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कुण्ड. पार्श्वपाणिपादसोदनादेन, परिष्व (गे!) गेम पाय मानपारदरिकानु-

भावतीनां छलफळञाकारदीप्तलोहपुत्रिकाणामुद्घाटित पूर्ववृत्तचित्र कन्दर्प चर्चरविस्ता

रेण प्रकटीकृतप्रणयकोपप्रसादनप्रकमेण मर्मच्छिदा कद बिना प्रकपितेन

तसताम्रद्र वानुपातदीप्तायो गुलुक फलम क्षितो स्थितानां परमर्मस्पर्शदुर्भाषितपुरुष बहु-

माध्यमाविमो मोषाद्द्वारप्रकार कलतल्पवामपार्श्वशयन

विजम्मिसेन बसामेद मेहम-

सैकोहामधूमळसम्भारगर्भोच्यतेन दीर्घशूत्कृतेन वृकवराहसिंहव्याघ्रवर्मि (ह?) महिष-

कुरुको प्णिकावलुप्यमान सर्वावयवानां मृगवनविहारसिंहिका नामसोनार म्भितेन

वनदहन विसर्गशीलानाम् अनलजालगर्भाशयचिबृत्तिविष्फूर्जितरषेण चारतविविध-

चतुराणां वर्षसहस्रान्ध कारकुहरमास दुःखनिस्सहविसृष्टेन विपरतापनपण्डितानां

उलो सर्प सर्पहरितमझनाव जित

निमज्जितोन्मज्जितानाम् अरुम्बकरणमलिचचिला-

लिखया खजमथन गोरसचोरघोरारञ्जरकलकलेना सितालवनपत्रपात्रोत्कृत्यमान-

चैत्यच्छेदकाच्छिकृतेन धर्मकृततटाकनाशकनरशन भीमतैलिकय आन्ति-

चित्कृतेन
 

 
शौचा शौचविचारमशून्य दुर्मानुषममलससरित्तरणास्फावाचा छपाल-

भशब्देन क्षुत्सन्धुक्षितप्रकाचि-
1.
 
2.
 
3.
 
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शैवालजालजटिलपूगबीचीपूगवेग
 
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