अवन्तिसुन्दरीकथा /255
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श्वेदानीं विदितवेदितव्यो वर्तसे सर्वावर्तस्थः सम एवासि खेहमपास्य निर्वि-
वेकस्य स्त्री हृदयस्य ....... [^1] नेदानीमभिहतममृतमिवाभ्यवहार्य प्रयासे वा
प्रीणयिष्यति ...... [^2] चिन्तयति सत्यप्येव श्रुत्वापि तथा तप्तवचोमिः प्रवास:
वेकस्य स्त्री हृदयस्य
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प्रवास मिवासुभिस्त्वमग्रजविरहमविषयं विषह्यदत्त
पुटपाकमिव शोकशापवत्यकस्मा दङ्ग
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........ [^5] सानमभ्युदनुजाने पुनदर्शनाश ......... [^6] बलानां चासूनां न कथञ्चन
स्खण्डनीया मनोरथा इतिपर्यश्रुणा मुखेन पादयोः पिपति
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स्तोयव
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मतिसमग्रं गृहीतहस्तद्वयो यन्त्रित इव किञ्चिदं
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ब्याजहार (?) । किं फलमम्ब ! वैकत्र्यमेष धर्मः प्राकृतप्रकादानां यदेवंविधेषु
वैधुर्यमाया खलु धैर्यमेवावकाशेऽपि शोकस्याश्रयति, स्मर पृथा सा प्रस्थितेष्वपि
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ब
प्य (त्र्य ?) पायशङ्कया वयस्यवर्गपरिवृतस्य हि मम सेयमुद्यान विहारवर्णपुष्पोद्भवा-
कथयतामवो
नाम पितरो मातरश्च कियति कियति ..... [^10
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नाम पितरो मातरश्च कियति कियति स्ववर्तवमा
मुहुरस्याभिरागमितास्तदमे सर्वकृतानामद्विष्या भव पत्नीरपारावचरापारपातिनो
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[^1]. Space for 12 letters left blank.
[^2]. L. about 2 letters.
[^3]. Space for 12 letters left blank.
[^4]. L. about 4 letters.
[^5]. Space for 12 letters left blank.
[^6]. L. about 4 letters.
[^7]. Space for 8 letters left blank.
[^8]. L. about 4 letters.
[^9]. Space for 14 letters left blank.
[^10]. L. about 2 letters.
[^11]. Space for 8 letters left blank.