अवन्तिसुन्दरीकथा /255
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अवन्तिसुन्दरी ।
२१९
उत्तानशयो यः कलप्रवाबीर्यो कृषावन्नाश्रमहरिणपोत काय आषाढी मोखलीर-
श्वेदानीं विदितवेदितव्यो वर्तसे सर्वावर्तस्थः सम एवासि खेहमपास्य निर्वि-
नेदानीमभिहतममृतमिवाभ्यवहार्य प्रयासे वा
प्रीणयिष्यति चिन्तयति सत्यप्येव श्रुत्वापि तथा तप्तवचोमिः प्रवास:
3
यस्याः स्फुटन्तं
वेकस्य स्त्री हृदयस्य
2
...
...
प्रवास मिवासुभिस्त्वमग्रजविरहमविषयं विषह्यदत्त
पुटपाकमिव शोकशापवत्यकस्मा दङ्ग
तो त्वया
च त्वत्सुहृद्भिश्च
5
6
परस्परसुख बलात्कार कृष्टपीतौ तदनुवृत्तद्रावितहृदयानापकारपयोधरा दृश्यपि
सानमभ्युदनुजाने पुनदर्शनाश बलानां चासूनां न कथञ्चन
स्खण्डनीया मनोरथा इतिपर्यश्रुणा मुखेन पादयोः पतिष
मातर-
8
स्तोयव
1
9
.....
.....
********
मतिसमग्रं गृहीतहस्तद्वयो यन्त्रित इव किञ्चिदं
…………....
ब्याजहार (?) । किं फलमम्ब ! वैकत्र्यमेष धर्मः प्राकृतप्रकादानां यदेवंविधेषु
वैधुर्यमाया खलु धैर्यमेवावकाशेऽपि शोकस्याश्रयति, स्मर पृथा सा प्रस्थितेष्वपि
7
....
........
....
........
बन
योदश समाः समाधिमास्थायास्थितारातिनगराय, अढमत्रा-
प्य (त्र्य ?) पायशङ्कया वयस्यवर्गपरिवृतस्य हि मम सेयमुद्यान विहारवर्णपुष्पोद्भवा-
10
कथयतामवो
11
*
नाम पितरो मातरश्च कियति कियति स्ववर्तवमा
मुहुरस्याभिरागमितास्तदमे सर्वकृतानामद्विष्या भव पत्नीरपारावचरापारपातिनो
...
-----------------------------------------------------------------------------------------
[^1]. Space for 12 letters left blank 7, Space for 8 letters left blank,
.
[^2]. L. about 2 letters.
8
[^3]. Space for 12 letters left blank.
[^4]. L. about 4 letters.
3
[^5]. Space for 12 letters left blank.9. Space for 14 letters left blank.
4
[^6]. L. about 4 letters.
[^7]. Space for 8 letters left blank.
[^8]. L. about24 letters.
[^9]. Space for 14 letters left blank.
[^10.
5, Space for 12 letters left blank• 11. Space for 8 letters left blank.
6.]. L•. about 42 letters.
[^11]. Space for 8 letters left blank.
२१९
उत्तानशयो यः कलप्रवाबीर्यो कृषावन्नाश्रमहरिणपोत काय आषाढी मोखलीर-
श्वेदानीं विदितवेदितव्यो वर्तसे सर्वावर्तस्थः सम एवासि खेहमपास्य निर्वि-
नेदानीमभिहतममृतमिवाभ्यवहार्य प्रयासे वा
प्रीणयिष्यति चिन्तयति सत्यप्येव श्रुत्वापि तथा तप्तवचोमिः प्रवास:
3
यस्याः स्फुटन्तं
वेकस्य स्त्री हृदयस्य
2
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...
प्रवास मिवासुभिस्त्वमग्रजविरहमविषयं विषह्यदत्त
पुटपाकमिव शोकशापवत्यकस्मा दङ्ग
तो त्वया
च त्वत्सुहृद्भिश्च
5
6
परस्परसुख बलात्कार कृष्टपीतौ तदनुवृत्तद्रावितहृदयानापकारपयोधरा दृश्यपि
सानमभ्युदनुजाने पुनदर्शनाश बलानां चासूनां न कथञ्चन
स्खण्डनीया मनोरथा इतिपर्यश्रुणा मुखेन पादयोः पतिष
मातर-
8
स्तोयव
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मतिसमग्रं गृहीतहस्तद्वयो यन्त्रित इव किञ्चिदं
…………....
ब्याजहार (?) । किं फलमम्ब ! वैकत्र्यमेष धर्मः प्राकृतप्रकादानां यदेवंविधेषु
वैधुर्यमाया खलु धैर्यमेवावकाशेऽपि शोकस्याश्रयति, स्मर पृथा सा प्रस्थितेष्वपि
7
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बन
योदश समाः समाधिमास्थायास्थितारातिनगराय, अढमत्रा-
प्य (त्र्य ?) पायशङ्कया वयस्यवर्गपरिवृतस्य हि मम सेयमुद्यान विहारवर्णपुष्पोद्भवा-
10
कथयतामवो
11
*
नाम पितरो मातरश्च कियति कियति स्ववर्तवमा
मुहुरस्याभिरागमितास्तदमे सर्वकृतानामद्विष्या भव पत्नीरपारावचरापारपातिनो
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[^1]. Space for 12 letters left blank
[^2]. L. about 2 letters.
8
[^3]. Space for 12 letters left blank.
[^4]. L. about 4 letters.
3
[^5]. Space for 12 letters left blank.
4
[^6]. L. about 4 letters.
[^7]. Space for 8 letters left blank.
[^8]. L. about
[^9]. Space for 14 letters left blank.
[^10
5, Space for 12 letters left blank• 11. Space for 8 letters left blank.
6.
[^11]. Space for 8 letters left blank.