अवन्तिसुन्दरीकथा /254
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जम्मतुः । तनयाभ्युदम चिन्तया मोदमानौ मुहुर्बिरहोस्कण्ठया दूबमानौ मुहुः
प्रयाणमळानि सम्पादयन्तो मुहु मन्वय..... [^1] मन्वग्र ......[^2] मुहुप्तेषामाज-
नुबेष्टितानामनुस्मृत्यरुदन्तौ मुहुरप्रमादं शिक्षयन्तौ मुहुर्देवताभ्यः
क्षेममाशंसमानौ मुहुर्वर्शनागतानामृषीणा
व्याघ्रदमनो
4
...
1
********
S
........... [^3
3
] दिवसशेषमनयताम् ।
व्याघ्रदमनो ...... [^4] तृपुत्रदारस्तं वृतान्तमुपलभ्य स्खेहद्रावितात्मा यत्न-
.....
......
निरुद्धबाप्पगद्गवकण्ठनिष्ठ चूतैस्तै रुपस्तम्भन वो ........ [^5] अथ चक्रवर्तितेजोग्र-
निकरनिकषाव बद्धरोहिपूर जेतस्विक चक्रवाळेतृ समागमोन्मुखीनां दिग्वधूनामा-
स्मसंस्कारधूप इव धूमरितनभसि जायमाने नदीयमसि स्मयमाने चूडामणि-
चामरिकायामकरिणीमिव या मिनीमुपस्थायपयत्याहरन्तसमये यत्ननितयथोचित -
नियतः क्षामः क्षामखेमा कौमकोमळमाप्रमाणागण पुळिनमध्यासीनं स्थगणेन
नरपति परिवारयाञ्चक्रे (?) । चिरञ्च शिश्चिद ध्याय (त्रिवर्तिनितीव निर्नि)-
मिषनयना स्थित्वा मुक्तदीर्धनिश्वासा पुत्रमाललाप । तात ! जनयित्रीभिः सर्वदेव
सुनुशोचतीयां विशेषतः प्रवसन्त इत्यस्यां लोक स्थित्या मुदिद्दिक्षणशक्ष्यस्येव
निपुः विवक्षितविचित्रक्षणमस्य मे हृदयं किं वा परेणोपदेश्यं दृश्यते
एष यमश्वोद्यते मान्यो मित्रवर्ग इति उपदिष्टे पिण्ड कमस्तवात्ममानो न
सुहृद्विहिरणीयमिति निसर्गत एव सुखानबदारुयो किं मया भुवनभूतये
भवन्तस्सचरन्ति (!) । स चेन्नियोगतः किमुत बज्राचलकदर्शनोचित स्थैर्य सम्भार
भाजने में द्विरुपदश्रुबिन्दुसन्तानसमितान्तपक्षमा शुष्यत्क
-
-----------------------------------------------------------------------------------------
.......... [^6] य-
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[^1]. L. about 10 letters.
[^2]. Space for 6 letters left blank, 5.
[^3]. L about20 let18 lelters.
3[^4]. Space for 6 letters left blank.
[^5]. L about18 lel20 letters
य
4.
[^6]. Space for613 letters left blank"
6, Space for 13 letters left blank
नुबेष्टितानामनुस्मृत्यरुदन्तौ मुहुरप्रमादं शिक्षयन्तौ मुहुर्देवताभ्यः
क्षेममाशंसमानौ मुहुर्वर्शनागतानामृषीणा
व्याघ्रदमनो
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निकरनिकषाव बद्धरोहिपूर जेतस्विक चक्रवाळेतृ समागमोन्मुखीनां दिग्वधूनामा-
स्मसंस्कारधूप इव धूमरितनभसि जायमाने नदीयमसि स्मयमाने चूडामणि-
चामरिकायामकरिणीमिव या मिनीमुपस्थायपयत्याहरन्तसमये यत्ननितयथोचित -
नियतः क्षामः क्षामखेमा कौमकोमळमाप्रमाणागण पुळिनमध्यासीनं स्थगणेन
नरपति परिवारयाञ्चक्रे (?) । चिरञ्च शिश्चिद ध्याय (त्रिवर्तिनितीव निर्नि)-
मिषनयना स्थित्वा मुक्तदीर्धनिश्वासा पुत्रमाललाप । तात ! जनयित्रीभिः सर्वदेव
सुनुशोचतीयां विशेषतः प्रवसन्त इत्यस्यां लोक स्थित्या मुदिद्दिक्षणशक्ष्यस्येव
निपुः विवक्षितविचित्रक्षणमस्य मे हृदयं किं वा परेणोपदेश्यं दृश्यते
एष यमश्वोद्यते मान्यो मित्रवर्ग इति उपदिष्टे पिण्ड कमस्तवात्ममानो न
सुहृद्विहिरणीयमिति निसर्गत एव सुखानबदारुयो किं मया भुवनभूतये
भवन्तस्सचरन्ति (!) । स चेन्नियोगतः किमुत बज्राचलकदर्शनोचित स्थैर्य सम्भार
भाजने में द्विरुपदश्रुबिन्दुसन्तानसमितान्तपक्षमा शुष्यत्क
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[^1]. L. about 10 letters.
[^3]. L about
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[^5]. L about
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[^6]. Space for
6, Space for 13 letters left blank