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१११
 

 
पितृगणसप्तकप्रतिष्ठामणिमयसर्वरत
 

 
निसर्गसौम्यं सरो रुद्रक .....
 

 
31
 

 
चार्यदण्डविरचिता
 

 
33
 
...
 

 
...
 
मय्यो वालुका रौद्रमपि
 

 
बांसि सरांसि मधूनामेण युगपबू बन्धानवद्य-

39
 

 
प्रेमभारा
 

 
ण्डिका पनसफलरसोपयोगात् कुबलपदळरुचयोग
 

 
यत्र करिकिंपुरुषायोप्ववर्षायुतमा

युरिन्द्रवज्रप्रममा ऋषभधूम्रदुन्दुमय स्वयोवगा
 
......
 

 
......
 
लामालिजलाशनो जातवेदाः संवर्तकः पश्चिमतकः सोमकवररा-

34
 

 
हनादराबन्द्र मेरुब्बान्द्रो जलघरो रैवतो नारदः (रैबत ! ) श्यामो

दुन्दुभिरस्तः सोमकस्सुम (नाः) स्वप्त वर्षपर्वसा:(!) । तत्र मेरो-

3G
 

 
मेघारम्भश्चन्द्रे जलमिन्द्रेण ब्राममश्विभ्यां
 

 
तात्पी श्यामे श्यामतां
 

 
क्षिमक्षपयदचिलो मस्खलिप्त वासरेबु
 

 
85
 

 
परापन: दुन्दुभिब्ध सुरासुनिररागामि
 

 
तु केरिणी सरतिदेलोमातरिश्वाप
 
.....
 

 
.....
 
1. L about 16 letters
 

 
37
 

 
38
 
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......
 

 
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व्यवस्थानि सत्यशौचश लिखिनित्यत्रेता युगान्यरद
 

 
गर्भगर्भस्विनीति गङ्गामेदा नद्यः (!) ।
 

 
नाम ध्रुबमित्यस्य कीपाश्रम -
 

 
39
 

 
घेनुका मुकृता
 

 
70
 

 
षो हरिमंन्दरः ककुम।निति सप्त
 

 
कुशद्वीपस्तु कुमुदो वि
 

 
चि(त्रास : त्रसा)नवो वर्षपर्वताः । ( हरिता ) लमय उन्नती वराहकोऽनमयः पुष्प
 

 

 

 
1
 

 
(वति ? वान्) मृतसञ्जीवनी विशल्यकरणी
 
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रे महेन्द्रसहो रत्नराशिः ।

तेषां तु वर्षाणि (वेदमुक्तिदं ! श्वेतमुन्नतं), लोहितं वेणुमण्डलकं, जीमूतं स्वरथा-

कारं, हरिलं लवणं, ककुद्धृतिमड्, मानसं प्रवरकं, कपिलं काकुम मिति

विभूतिमन्ति सप्त । सप्सैव च सिद्धोवो ! धवः) धूतपापा योनितोया,