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आचार्य दण्डिविरचिता
 
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नर्वतो नम(सं ! सः)क्षरन्तीमिरर्षमात्राभिर्द्वाराभिर्धारामिधून नामश्व मन्देतर कट कटा-

शब्द दत्तदन्तवीणाचार्याः सर्वामेव शर्वरीमाईयन्तः फूत्कारिणः समीरिणः,

अतिकरुण हुनस्तम्भमुसप्तवान्वृत्तिश्च (!) । तामहं तापयितुकामा तदभ्याशे श्वापद

मनन्यप्रत्यक्षत्वादाशङ्कघ (महत्ये १ वहन्त्ये) वैनमर्भकं वहमन्विच्छामीति

वचसि पूर्ण ए (ब) तिर्यग् दीयमान हसताम्रदृष्टिः पृष्ठतोऽभिपत्य जर (ति! ती ) मति-

T
 

 
3
 

 
घनपीत स्कन्ध पीठत्वादनतिवृशिरोषरां विधाय बलिननबलकुलिश-

वर्तिना पंमर्तकबलोऽप्यवधानविपिन

गुमच्छेदच्छिदुरबेगमदादुमयतोऽसौ नाग-

3
 

 
बद्विधामशेषरोष
 

 
कटकोऽपि वम्यकुअरः कोऽपि कुण्डलितहस्त-

काण्डोऽभिपत्य प्रहृत्य पार्श्वे बृहत्पुरितरपुरितदन्तकोटि स्तरकळेबरम

बतानन-

4
 
.......
 

 
.......
 
कु
 

 
रुत्क्षिप्तवान् ( ? ) । उद्धृतयैव तु तदा तु तज्जर (न्ती ! ती) कर-

तलपरिभ्रष्टं बालमेनं रुदन्तमुर्व्या पल्लवकचलमिव स (लि ! ली)लमीषदलिते
 

 
5
 

 
बनगजाय दत्त्वैनं मोचयामि मोचयितस्यास्य कोऽप्युभ्युवा (?)

ह (ति ! स्ति)

नस्तस्य मस्तकतटे मस्तिष्कमासगृघुरस (म्य) पातमपत ( दुग्र )

दुग्रवृतिः सिंहः । तदाबेगा ...... क्षिप्तमूर्तिरपतम्मरुत्वथात् प(ल!)
 

 
नसफललम्पटेन बिटपकोटिवर्तिना केनापि महाप्रमाणेन वानरेण प्रसार्य

पाणि सर्वप्राणिपुण्यसन्दोहेन प्रत्यगृह्यत । तेनापि निपुणमप्रत्यानि
 

 
7
 

 
चलित ... लदश्रुभ्रमितचपलचक्षुषा मुखेन मुहुर्मुहुरभिनि (क्षि? रू) व्य निष्फल-

प्रयासेन शिथिलमुक्तसंसक कि (स ) क्रयशय्या कोमलामु कोटराप्रपरम्परासु लम्ब
 
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1]. L. about 2 letters.
 
2.
 
10
 
3.
 
4.
 
20
 
2
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.
 
11
 
5
]. L. about 24 letters
 

[^2]. ,, 10 ,, [^
6,
 
]. ,, 20
 
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[^3]. ,, 20 ,, [^
7.
 
]. ,, 12
 
11
 
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[^4]. ,, 25 ,,