अवन्तिसुन्दरीकथा /189
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पपौ । वनकरिभन्न शुष्कशावं कूटसन्धुक्षणानामाशुशु ....[^2] शिखा शतेोत्तप्तकृश-
शरीरास्फालप्रथितशूकराफेनिलशीकरः शिश्ये शिशिहिमहञ्जललवपुञ्जसम-
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तीक्कमुपलशाद्वलभज ....[^3] गळद मलहि मजललवलुळितमस्त कस्तस्थौ (?) । सूची-
पलकब्ध सूचितशललीकृत पलकापाश्रयः शर्वरीर्वरसमाधिराधिशून्यमासाञ्चक्रे
कुरुसकरणधूमपल्लवान शिराः श्रेणिव
दृष्टमिष्टसन्तति तद्वतमहीनमन्वतिष्ठत् । सर्वमिव सर्वमिदं कृतपृथुष्ट थिवी-
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प्रदक्षिणः दक्षिणदत्तम्मनोदुरितश्च परिसमापिततीर्थयात्राकृत्यो नरन........
सपुण्ये बदर्याश्रमे वर्षपूगानुषित्वा पुनरिमां तपोवनभुवमभ्यापन्नो मुनि-
ज (न) मुखादशृणवम् (१) ।
1. L. about 34 letters.
2.
34
3,
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असुष्मिन्नेव समये तस्य राजर्षेरव (ति: नि) मज्ज (ज ? ) नगगनगाहनजल
क्रमणादयो भुवनविस्मयनीया अभिमानाः प्रादुरासन् । भगवानप्यनन्तशार्य
निरतिशयमरितभक्ति (भू? पू) ताभिर्भूयसीभिः सपर्याभिरभिराषितः प्रादुर्भूयात्र-
श्यामलेन करतल कमलकलितकम्बुचक्रेणाम्बुजेक्षणेन त्रिभुवन विसर्ग संहारप्रति-
हारिकेण वपुषा विष्णुरेनम (न्व) महीत् स्वप्मे । वत्स ! रिपुञ्जय । जिलं त्वया ।
पराजेष्ट नियतिः । अयमस्मि कृष्टस्स्वष्ट्रसन्तष्ट ( ? ) सूर्यवर्च (सच्च ? संचा)-
भ्यर्च्य मुर्वी मुजामा मर्दक निर्दय विमर्दवर्धितप्रभावं भुवोऽस्याः कुण्ठीकृत कु (श ! ) ल-
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4
20
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4
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[^1]. L. about
[^2]. ,, 34 ,,
[^3]. ,, 20 ,,
[^4]. L. about 16 letters.
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