This page has been fully proofread once and needs a second look.

अवन्तिसुन्दरी ।
 
चूर्णैरिव कुसुमरेणुभिर्मरुदुद्भूतैः पलितपाण्डरशिरसेव महता जीर्णकेतकिवनेन

परिवृतम् उत्क्षिपद्भिरिव शिखरलम्बिजलघरकुलमम्बरसरित्यायनाय
 
दर्शयद्वि-
"
 
1
 

रिव नन्दनवनोद्देशं शाखानिलशकुनिशाश्व कानुमदभ्रमरसमर.....[^1] हीरुहण पैरि

भूतविट पान्तराळ मार्गैस्तपस्यावासप्रासादैरिव कुसुमपाण्डुमिर्वनस्पति (भिः क्षु भिरु)-

पशोभितं, यजितजनध्यानासनब (न्धु?न्ध)पू (व?) तवेदिकासनाथत लैरुशिलाभङ्ग-

बन्धचतुरश्रालवालकैरग्निहोत्रहविर्धूमसङ्ग सन्देहदायियोगविघातभीतिदूतेन कुसुम-

रजःकम्बुका ननिभ्रान्तपक्षपालिना मधुलिहां कुलेन सदयपरिलीयमान मकरदेव्यानजैः

प्रसरमिव मुनिशरीरातिरक्तकिसलयच्छला दुगिर द्भिर्लतामण्ट (पैरु) पेतम् (?) अञ्जलि -

पुटसम्भृतोपजातबीजतण्डुलैर्लोल कापलका कपक्षैर्वैखान सकुमारकै: संज्ञाहूयमान-

शाबकानुसरणलग्नहंसीपरित्यक्तपङ्कजास्वादरागया मुझकुशदर्भब (ल? लव) जशरपुञ्ज-

जटिलकूलया बिल्वपलाशखा (व:)दिरर्षलूदम्बमस्तम्बन्धपर्यन्ततया मतकारण्डव-

तुण्डखण्डित दलसम्पुटकर क्तकुवलयवनमघर मिव लज्जया तरळ (त) रङ्गहस्त-

न्नन्दसृष्टिगणाद् गाहनदूतदेह निषक्त तीर्थयात्रिकपुरतराशिमिव ( ? ) दर्शयन्त्या

शान्तशर्मदया नर्मदयोपगूढैक पार्श्वम् उ (भय?ट) जाजिरसुप्तह (र: रि) किशोरमशक-

वारण निरतवनवारणीकर(ण?)विधूयमानान्तेवासिवर्गदुर्भहाग्रविटपकप्रसूनम् उ (द?

ट) जीय सरलसारदारुभङ्गोपहारेणाराधितस्थविरतापसारब्धसामगानोपलभ्य मानवन-

गजकलभकम्, आदृतवनवराहवेत्रावबध्यमानबालवृक्षकालवालकम्, उप.
-
शान्तशिखाण्डमण्डलबर्ह माजनकलालसन्धज्यमान सैकताजिरमा चार
शुञ्जुशुक्लच्छदन

चञ्चुसम्पुटप्रकीर्यमाणपद्मोत्पलदलोपहारम्, अतिनिभुतपारात्रतदत्तदावागर उन्मुख-

बहळधूपोद्गारसुरभी क्रियमाणदेव (!)......[^2] मारण्यकमहिषविषाणखात विमृदित विषम-

कण्टक (क्ष क्षु) पं विशोध्यमानतीर्थयात्रमारण्यकताम्र मूल संज्ञारुता इयमान पुष्पमात्रा-
,
 
2
 
-
 

 
-----------------------------------------------------------------------------------------
[^
1]. Space for 3 letters left blank.

[^
2]. L about 2 letters.
 
-