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त्यागासहिष्णुतया निर्गमक्षमविलम्बिना कायोष्मणेष सापार्वानधिष्ठितमधिक-

तरोपशुष्कमघरपुटं दबानां(?) वनलतामिव छिन्नविप्रकीर्णा कुसुममञ्जरीमिंग
 

 
कपिरलूना पगन्ध सौदामिनीमिब जलदोत्सङ्गाद् भ्रष्टां शशाइलेखामिव

द्वपाकरा शिनिपतिता (?) म तिकरुणदर्शनां मगघराजमहिषीं ददृशुः ।
 

 
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दृष्य च तां तदबस्था मास्त्राय
 

 
बस विषेरसाम्प्रताचरणदोहळमाभ्यां परिणामे
 

 
आचार्यदण्डविरचिता
 
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जलं ते लीलारविन्दकलना परिम्लानिशङ्के मन्यन्ते । निर्मास्या दामनी

इव यत्र कचन बिक्षिसे क्षमे शयितुम् । एतौ किल कुचकलशौ कलशध्वजा
 
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1. L about 4 letters
 
2.
 
8
 
3.
 
4.
 

 
दुष्कुटुम्बाम्बुकुम्भाविव निरपेक्षप्रविद्धप्रस्तरितो
 

 
एष किल चिकुरकलापः सकलातीय कुसुममौर तकृत चमरीकलापभार

इव यथेष्टविप्रकीर्णव्याकुलो निष्ठाया द्रष्टव्यः कष्टं बत एतान्येव किल

गात्राण्यापचयबहळहंसतूल... गमप्रतीकारवस्तुमिरुपचेरुः (!) ।
 
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20
 
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प्रतिपन्नसंज्ञा तु सा क्षण मन्धकारनिर्गतेव प्रसुप्तोत्थितेव मृतप्रत्यागतेच
 
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लोकान्तरो मन्यमिवोपलभमाना कितवि(?) तूष्णीमशेत । शीतक्रियापबन्धा-

घिरूढसंस्कारपाटवा पुनरुन्मथितेव संज्वरितेवोन्माद चन्द्रामि (रु)त्तिष्ठन्ती
.

भ्रान्तौ वृत्तार्ततारक्षुत्तादपि प्रतिपक्षपछि (!) स्फारय (न्ति ? नती) कोचनद्वयं प्रसरत् -
 
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दृष्टयश्चिन्तयाम्बमूवुः । ततो
 

 
भवितव्यं चरणाभ्यामिश्रले किल
 
7.
 
8.
 

लुठितु मुख्या न्यायौ ।
 
6
 
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5

 
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. L about 284 letters
 
. [^5]. L about 28 letters.
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