अवन्तिसुन्दरीकथा /134
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ऐक्षिष्ट च प्रतिभवनमनुप्रयागतिरमा गृहीतुभूमि समदाकगन्धगजघटाबद्धा-
न्तकारतया....[^1] वर्षाध्वरमिव जलधारातिमारेण पाति (?) मनेकसामन्तसहस्रात-
पत्रमण्डलान्तरतया वेलःत पुलिनमण्डला गोगधवल..... [^2]कटभाण्डमण्डितानामनव-
रतनभस्तलोत्पतनव्यसनादतीक (१)स्पर्शनाभिज्ञखुरपुटानामिवानेक सहस्रैरा जानेय वा-
जिनां स्थू .....[^3]सहातचूर्णितोप्रदशनमिव कल्पापायभुवनमाकल्प रश्मिरानि-
राजितलोकनिरन्तरतया पारिजातवनमिव सागरेण मथनभयात् प्रागेवोपा-
विष्कृत मुल्लसिता ने करथ शतमितपत्रकात्रातप्रीतातमापततघनतुहिनपट उधवलिताम -
मिव(!) ....[^4] म्य.... [^5]भृगरण्यं भुवनकोशमिव नी (ल)श्वेनारुणशबलहरित भटाश्चकेतु-
मालोपपन्नम्, अन्तकनगरोद्यानानेव स्फुरद सिपत्रपात भीषणं, नन्दगोशलगोकुलमिव
हरित्रलरचितचारुनाग वृत्तनिवेशमिवोच्चावचघनान्धकारीभूतं रामायणमिव
कृतपङ्किरथक्षोभमन्थरं कुरु गण्डव समरमिवोत्रामितगजघटोत्कचसुभटासिंहनाद -
कारित(सू ? क)र्णशक्तिव्ययं ध्यातमिव (?) कृतशमान्तरं नानापङ्किसुम्थितं सुरस्रोत
स्दिनःस्रोत इव सुरचितचारुपक्षपक्षं कुचतटमिव क्रान्तोर (स्यं स्कं) गणकमिव प्रति-
ग्रहविभक्तबलविचारं मात्र ज्यामेव सर्वतोवृतिसम्पादितप्रकृ...[^6]लं दुष्करकाव्यमिव
रावितजन(?)पदनिवेशरचित सर्वतोभद्रं कोशागारभित्र सारफल्गुविभागानुरूपक-
ल्पितम्थानं कालिन्दीह्रदमिव ....[^7]ताच्युत....[^8] दगोपालरुद्ध निर्गतनागस्य नवागम-
निहितवमनध्यमितवनसमर्थ (?) अनुलोमसमीरणम (प्य ? पि) प्रतिलोमप्रभञ्जनं
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[^1]. L. about 6 letters.
[^2], ,, 32 ,,
[^3], ,, 14 ,,
[^4]. Space for 4 letters left blank.
[^5]. Space for 4 letters left blank.
[^6], ,, 3 ,,
[^7]. Space for 6 letters left blank.
[^6], L. about 2 letters.
न्तकारतया....[^1] वर्षाध्वरमिव जलधारातिमारेण पाति (?) मनेकसामन्तसहस्रात-
पत्रमण्डलान्तरतया वेलःत पुलिनमण्डला गोगधवल..... [^2]कटभाण्डमण्डितानामनव-
रतनभस्तलोत्पतनव्यसनादतीक (१)स्पर्शनाभिज्ञखुरपुटानामिवानेक सहस्रैरा जानेय वा-
जिनां स्थू .....[^3]सहातचूर्णितोप्रदशनमिव कल्पापायभुवनमाकल्प रश्मिरानि-
राजितलोकनिरन्तरतया पारिजातवनमिव सागरेण मथनभयात् प्रागेवोपा-
विष्कृत मुल्लसिता ने करथ शतमितपत्रकात्रातप्रीतातमापततघनतुहिनपट उधवलिताम -
मिव(!) ....[^4] म्य.... [^5]भृगरण्यं भुवनकोशमिव नी (ल)श्वेनारुणशबलहरित भटाश्चकेतु-
मालोपपन्नम्, अन्तकनगरोद्यानानेव स्फुरद सिपत्रपात भीषणं, नन्दगोशलगोकुलमिव
हरित्रलरचितचारुनाग वृत्तनिवेशमिवोच्चावचघनान्धकारीभूतं रामायणमिव
कृतपङ्किरथक्षोभमन्थरं कुरु गण्डव समरमिवोत्रामितगजघटोत्कचसुभटासिंहनाद -
कारित(सू ? क)र्णशक्तिव्ययं ध्यातमिव (?) कृतशमान्तरं नानापङ्किसुम्थितं सुरस्रोत
स्दिनःस्रोत इव सुरचितचारुपक्षपक्षं कुचतटमिव क्रान्तोर (स्यं स्कं) गणकमिव प्रति-
ग्रहविभक्तबलविचारं मात्र ज्यामेव सर्वतोवृतिसम्पादितप्रकृ...[^6]लं दुष्करकाव्यमिव
रावितजन(?)पदनिवेशरचित सर्वतोभद्रं कोशागारभित्र सारफल्गुविभागानुरूपक-
ल्पितम्थानं कालिन्दीह्रदमिव ....[^7]ताच्युत....[^8] दगोपालरुद्ध निर्गतनागस्य नवागम-
निहितवमनध्यमितवनसमर्थ (?) अनुलोमसमीरणम (प्य ? पि) प्रतिलोमप्रभञ्जनं
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[^1]. L. about 6 letters.
[^2], ,, 32 ,,
[^3], ,, 14 ,,
[^4]. Space for 4 letters left blank.
[^5]. Space for 4 letters left blank.
[^6], ,, 3 ,,
[^7]. Space for 6 letters left blank.
[^6], L. about 2 letters.