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तरुणतमालपल्लवस्वस्तरुस्तीर्णमणिशिलापट्टिका इव रणरतिक्षमाः कीपला: (?)
केचिदनि ... [^1]क्रीभूतमापिदाहो सुयमान ( ? ) पाटलमुखपटांशुकाः स्फुरिताशाने-
पल्लवा इव लोकसंहरणदारुणा: प्रलयकालजलघराः, केचिदालम्बितमहावराह .
लीला इव भुवमवाङ्मुखं नित्यदशनकोट्या दारयन्तः, केचिदाह्वयमाना इव
हरी ना कुली कृतमहा महीभृत्कटक ममि (ग) जन्तः केचिदाय (त) हस्तपाद संवेष्टमान-
जनप (टां ! दाः) कालदूता इव परिभ्रमन्तः
 
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केचिदुपायनभूतप्रविष्टलोकाला मां(?)
 
9

दुःस्खा दीर्घशूत्कारनिभेन निष्प्रयोजनं जवमिवोद्भिरन्तः केचिदलसानेकपरुष-
बाह्यपरिघभञ्जनसरभसा दशनभङ्गशङ्कया निर्याणभागिनी पाक (?) निष्ठुराङ्कुश के ळि-
भिरवनतपूर्वकायैः सन्यासमाधोरणनिवार्यमाणाः केचिदभिहतभागीरथीतीर-
मित्तिभागोद्धृतधूलिपटलम(न्न ? ग्न) मूर्तयः क्रोधानलधूमधूम्रा इवो..... [^2]मसदत्त -
विस्तीर्णमस्तकाघातपात्यमानत्रैत्यानोकहाः प्रतिकुञ्जरसन्निपातयोग्यमिवाचरंतः
स ( क ? ) शंखाः सघण्टापुटा: सडिण्डिमाः सहेम .....[^3] या इव लावण्यमया इव
रागमया इवाहङ्कारमया इव।वष्टम्भमया इव भद्रप्राया मन्दमदधर्मान्वया दुर्मृग-
स्वभावाः कीर्तिमहौषधिहिन... [^4]पि क्षितिपालं नयनहारि चक्रश्चकवालमिव
दिशाम।त्मोत्सेधेन संक्षिफ्तो मातङ्गपतयः
 
4
 

 
भीरदी
 
विलोचनाः कालमहीविहारिणः कम्रमा
 
तांश्च दर्शयन् बलाध्यक्षः क्षितिपतिप....[^5] वनप्रजाताः प्रकामाबगाढं

भीरदी .....[^6] दारिकांमसकुलुपेतरकालतोययायिनः
 
कौशिकीती रकशकाशवन-
तिविलोचनाः कालमहीविहारिणः कम्रमा.... [^7]विततलौहित्यतीरागरुतयरुत्वचः (!?)
 
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