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अमरुशतकम्
 
Stanza
 
१३०
 
अच्छित्रं नयनाम्बु
 
Om
 
Om
 
78
 
Om
 
कथमपि कृतप्रत्यावृत्तौ
 
89
 
75
 
76
 
73
 
आदृष्टिप्रसरात्
 
74
 
आयाते दयिते
 
91
 
77
 
75
 
रोहन्तौ प्रथमं
 
Om
 
Om
 
87
 
Om
 
आलम्ब्याङ्गण-
 
यास्यामीति समुद्यतस्य
 
अनालोच्य प्रेम्णः
 
कपोले पत्राली
 
शून्यं वासगृहं
 
लोलभ्रूलतया
 
जाता नोत्कलिका
 
दृष्टः कातरनेत्रया
 
23222222
 
92
 
78
 
83
 
Om
 
93
 
79
 
Om
 
Om
 
94
 
80
 
84
 
95
 
81
 
85
 
96
 
82
 
74
 
97
 
83
 
69
 
Om
 
98
 
84
 
Om
 
99
 
85
 
70
 
तसे महाविरह-
 
100
 
86
 
Om
 
आयस्ता कलहं
 
Om
 
Om
 
63
 
Om
 
चिन्तामोहविनिश्चलेन
 
101
 
म्लानं पाण्डु कृशं
 
102
 
88
 
64
 
KAFEKAS 1 2
 
76
 
87
 
77
 
78
 
79
 
89
 
90
 
88
 
62
 
Om
 
क्वचित्ताम्बूलाक्तः
 
Om
 
65
 
Om
 
सैवाहं प्रमदा
 
103
 
89
 
Om
 
Om
 
करकिसलयं धूत्वा
 
104
 
89
 
Om
 
सन्त्येवात्र गृहे गृहे
 
105
 
91
 
59
 
Om
 
सररसनदी
 
Om
 
Om
 
Om
 
निःशेषच्युतचन्दनं
 
Om
 
Om
 
61
 
Om
 
निःश्वासा वदनं
 
106
 
92
 
98
 
Om