This page has been fully proofread once and needs a second look.

[ ८ ]
 
ww
 
1-

 
बड़ी हो ( पिता विष्णु से भी बड़ी हो ), शुद्धसत्त्व ही
तुम्हारा
स्वरूप है ( तुम में रजोगुण और तमोगुण नाम के लिए
भी
नहीं है), क्रोध, लोभ आदि दोषों से तुम बहुत दूर हो ॥ १ ॥

 
उपमे सर्वसाध्वीनां देवीनां देवपूजिते ।

त्वया विना जगत्सर्वे मृततुल्यं च निष्फलम् ॥ २ ॥

 
तुम सब अच्छी ( साध्वी ) स्त्रियों की उपमा हो, देवताओं

ने भी तुम्हारी पूजा की है। तुम्हारे बिना सारा जगत् मुर्दा के समान

और निष्फल है ॥ २ ॥
 

 
सर्वसंपत्स्वरूपा त्वं सर्वेषां सर्वरूपिणी ।

रासेश्वर्यधिदेवी त्वं त्वत्कलाः सर्वयोषितः ॥ ३ ॥
 
तुम्हारा
भी.
 
8
 

 
तुम सभी प्रकार की संपत्ति का स्वरूप हो, हर एक के लिए

चाहे जिस रूप को तुम रास की रानी और मालकिन हो, सभी

स्त्रियां तुम्हारी कला मात्र है ॥ ३ ॥

 
कैलासे पार्वती त्वं च क्षीरोदे सिन्धुकन्यका

स्वर्गे त्वं च महालक्ष्मीमर्त्यलक्ष्मीश् भूतले ॥ ४ ॥

 
कैलाश पर तुम पार्वती हो, क्षीर सागर में तुमा लक्ष्मी

हो, स्वर्ग में तुम महालक्ष्मी हो, और पृथ्वी पर नारी रूपा

लक्ष्मी हो ॥ ४ ॥
 
बार
 
A
 
2
 

 
वैकुंठे च महालक्ष्मीर्देवदेवी सरस्वती ।

गंगा च तुलसी त्वं च सावित्री ब्रह्मलोकतः ॥ ५ ॥

 
बैकुंठ में तुम महालक्ष्मी महादेव को देवी और सरस्वती हो,

तुम्ही गंगा, तुलसी और सावित्रोरी हो ॥ ५ ॥

 
कृष्णप्राणाधिदेवी त्वं गोलोके राधिका स्वयम्

रासे रासेश्वरी त्वं च वृंदावनवने वने ॥ ६ ॥
 
CC-0. Mumukshu Bhawan Varanasi Collection. Digitized by eGangotri