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बड़ी हो ( पिता विष्णु से भी बड़ी हो ), शुद्धसत्त्व ही
स्वरूप है ( तुम में रजोगुण और तमोगुण नाम के लिए
नहीं है), क्रोध, लोभ आदि दोषों से तुम बहुत दूर हो ॥ १ ॥
उपमे सर्वसाध्वीनां देवीनां देवपूजिते ।
त्वया विना जगत्सर्वे मृततुल्यं च निष्फलम् ॥ २ ॥
तुम सब अच्छी ( साध्वी ) स्त्रियों की उपमा हो, देवताओं
ने भी तुम्हारी पूजा की है। तुम्हारे बिना सारा जगत् मुर्दा के समान
और निष्फल है ॥ २ ॥
 
सर्वसंपत्स्वरूपा त्वं सर्वेषां सर्वरूपिणी ।
रासेश्वर्यधिदेवी त्वं त्वत्कलाः सर्वयोषितः ॥ ३ ॥
 
तुम्हारा
भी.
 
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तुम सभी प्रकार की संपत्ति का स्वरूप हो, हर एक के लिए
चाहे जिस रूप को तुम रास की रानी और मालकिन हो, सभी
स्त्रियां तुम्हारी कला मात्र है ॥ ३ ॥
कैलासे पार्वती त्वं च क्षीरोदे सिन्धुकन्यका
स्वर्गे त्वं च महालक्ष्मीमर्त्यलक्ष्मीच भूतले ॥ ४ ॥
कैलाश पर तुम पार्वती हो, क्षीर सागर में तुमा लक्ष्मी
हो, स्वर्ग में तुम महालक्ष्मी हो, और पृथ्वी पर नारी रूपा
लक्ष्मी हो ॥ ४ ॥
 
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वैकुंठे च महालक्ष्मीदेवदेवी सरस्वती ।
गंगा च तुलसी त्वं च सावित्री ब्रह्मलोकतः ॥ ५ ॥
बैकुंठ में तुम महालक्ष्मी महादेव को देवी और सरस्वती हो,
तुम्ही गंगा, तुलसी और सावित्रो हो ॥ ५ ॥
कृष्णप्राणाधिदेवी त्वं गोलोके राधिका स्वयम्
रासे रासेश्वरी त्वं च वृंदावनवने वने ॥ ६ ॥
 
CC-0. Mumukshu Bhawan Varanasi Collection. Digitized by eGangotri