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नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ॥
१७ )
 
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ॥ १७ ॥

 
नमः उग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः ।

नमः पद्मप्रबोधाय मार्तण्डाय नमो नमः ॥ १८ ॥

 
जय, जयभद्र और हर्यश्वको नमस्कार । हे सहस्रांशो नमो नमः ।

आदित्य को मेरा नमस्कार है। उग्र वीरको, सांग्सारङ्गको पद्म

प्रबोध और मार्तण्डकीको मेरा नमस्कार है ॥ १७-१८ ॥

 
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यादित्यवर्चसे ।

भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ॥ १६ ॥
 

 
ब्रह्मा इशान और अच्युतके ईश, सूर्य, आदित्यवर्चस,

भगवान्, सर्वभक्ष और, रौद्र शरीरको नमस्कार ॥ १९ ॥

 
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ।

कृतघ्नन्घ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः ॥ २० ॥
 

 
तम, हिम और शत्रुके नाश करनेवाले अमितात्मा वाले,
,
कृतघ्नको मारनेवाले देव और ज्योतियोंके पतिको नमस्कार ॥२७॥

 
तप्तचामीकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे ।

नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रवये लोकसाक्षिणे ॥ २१ ॥
 

 
तपे हुए सोने के समान शोभावाले, वहन करनेवाले, विश्वकर्मा,
समका

तमको
नाश करनेवाले, लोकके साक्षी रविको नमस्कार ॥ २१ ॥

 
नाशयत्येष वै भूतं तदेव सृजति
प्रभुः ।
पाययत्तपत्येष वर्षतपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः ॥ २२ ॥
 

 

 
यही उपन्न सृष्टिके।को नाश करते हैं और सीके फिर, ब्रो
 
and
 
वही प्रभु