कुमारसम्भवम् — 6.21
Original
Segmented
या नः प्रीतिः विरूपाक्ष त्वद्-अनुध्यान-सम्भवा सा किम् आवेद्यते तुभ्यम् अन्तरात्मा असि देहिनाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
या | यद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
नः | मद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
प्रीतिः | प्रीति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
विरूपाक्ष | विरूपाक्ष | pos=n,g=m,c=8,n=s |
त्वद् | त्वद् | pos=n,comp=y |
अनुध्यान | अनुध्यान | pos=n,comp=y |
सम्भवा | सम्भव | pos=n,g=f,c=1,n=s |
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
किम् | किम् | pos=i |
आवेद्यते | आवेदय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तुभ्यम् | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
अन्तरात्मा | अन्तरात्मन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
असि | अस् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
देहिनाम् | देहिन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |